दिल्ली के अस्पतालों-रिफिल स्टेशनों में कैसी है ऑक्सीजन की स्थिति, 2 दिन में 50% बढ़ा स्टॉक
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दिल्ली में ऑक्सीजन स्टॉक में वृद्धि के कारण अब अन्य राज्यों में भी ऐसी ही मांग बढ़ गई है. उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य भी ऑक्सीजन के उच्च आवंटन की मांग कर रहे हैं.
कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच राजधानी दिल्ली समेत कई जगहों पर ऑक्सीजन की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही लोगों को खासी दिक्कतें भी हो रही हैं. इस बीच केंद्र सरकार की एजेंसियों ने दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों के अलावा रिफिल स्टेशनों का सर्वे किया है जिसके मुताबिक दिल्ली में अब ऑक्सीजन की कमी नहीं है. केंद्रीय सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में ऑक्सीजन डायवर्जन राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर रहा है. सूत्रों का यह भी दावा है कि दिल्ली में अपर्याप्त उपयोग और ऑक्सीजन के डायवर्जन की संभावना है. केंद्र आवश्यक जरूरतों और आवश्यकताओं से परे जाकर दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई जारी रखे हुए है, जबकि अन्य राज्यों को उनके बढ़ते मामलों के आधार पर समान वितरण से वंचित करेगा.सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
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हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.