दिल्ली की सियासत, आंध्र का गणित... कॉकपिट में बैठी TDP क्यों नहीं बनेगी NDA की उड़ान में बाधा!
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मोदी कैबिनेट का स्वरूप तय हो चुका है, अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या सहयोगी दल इस बात से खुश होंगे कि इसे मोदी 3.0 के तौर पर माना जाए न कि एनडीए 3.0 के तौर पर? आखिर भाजपा क्या संदेश देना चाहती है?
क्या चंद्रबाबू नायडू के पास इस बात से नाराज होने का कोई कारण है कि टीडीपी के दो केंद्रीय मंत्रियों को 'भारी' माने जाने वाले विभाग नहीं मिले? राममोहन नायडू को नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिया गया, जबकि राज्य मंत्री पी चंद्रशेखर अब ग्रामीण विकास और संचार मंत्रालयों में जूनियर हैं.
ऐसा नहीं है कि दूसरे सहयोगी दलों का प्रदर्शन बेहतर रहा है. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी (जेडीएस) अब केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री हैं, जबकि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री बनाया गया है. एलजेपी के चिराग पासवान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग संभालेंगे, जबकि जेडीयू के राजीव रंजन सिंह को पंचायती राज और पशुपालन मंत्रालय दिया गया है.
खट्टर की लॉटरी, मिले 3 बड़े मंत्रालय
इसके विपरीत, मंत्रिमंडल में शामिल भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़े मंत्रालय मिले हैं. राजनाथ सिंह रक्षा मंत्रालय की कमान संभालेंगे, जबकि शिवराज सिंह चौहान को कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तो लॉटरी लग गई है, उन्हें आवास, शहरी मामले और ऊर्जा जैसे तीन बड़े मंत्रालय मिले हैं.
तो अब जबकि मंत्रिमंडल का स्वरूप तय हो चुका है, क्या सहयोगी दल इस बात से खुश होंगे कि इसे मोदी 3.0 के तौर पर माना जाए न कि एनडीए 3.0 के तौर पर? आखिर भाजपा क्या संदेश देना चाहती है?
बॉस कौन, दे दिया साफ संदेश
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