दाभोलकर हत्याकांड: सीबीआई की पांच आरोपियों के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत मुक़दमा चलाने की मांग
The Wire
सीबीआई ने अदालत में दलील दी कि तर्कशास्त्री डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 2013 में हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों पर ‘लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक’ पैदा करने के लिए यूएपीए के तहत मुक़दमा चलाया जाए.
पुणे: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक अदालत में दलील दी कि तर्कशास्त्री डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की 2013 में हुई हत्या के मामले में पांच आरोपियों पर ‘लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक’ पैदा करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाया जाए. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (विशेष अदालत के न्यायाधीश) एसआर नावंदर के समक्ष शुक्रवार (तीन सितंबर) को पांच आरोपियों डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े, शरद कलासकर, सचिन अंडुरे, वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर दलीलें रखी गईं. विशेष लोक अभियोजक प्रकाश सूर्यवंशी ने सीबीआई की ओर से मामले पर दलीलें रखते हुए कहा कि आरोपी पर आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या), शस्त्र कानून की संबंधित धाराओं और यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य के लिए सजा) के तहत आरोप लगाए गए. उन्होंने यूएपीए की धारा 16 पर जोर दिया और दलील दी कि इस मामले में इसे लागू करना कैसे न्यायोचित है. उन्होंने कहा, ‘यूएपीए की धारा 15 की परिभाषा समाज या समाज के एक वर्ग के बीच आतंक पैदा करना है. मौजूदा मामले में हमारी दलील है कि लोगों के एक वर्ग के बीच आतंक पैदा करने के लिए डॉ. दाभोलकर की हत्या के लिए आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया गया, इसलिए यूएपीए की धारा 16 इस मामले में लगाई जानी चाहिए है.’More Related News