दहेज हत्या के मामलों में सावधानी भरा रवैया अपनाएं निचली अदालतें: सुप्रीम कोर्ट
The Wire
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि दहेज हत्या के मामलों में निचली अदालतें अक्सर आरोपी के बयान को बहुत ही सरसरी तौर पर दर्ज करती हैं और कभी-कभी बिना किसी सक्रिय भूमिका के पुरुष के परिजनों को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है. शीर्ष अदालत ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी किए हैं.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने देश में दहेज को लेकर बढ़ रही हत्याओं पर चिंता जताते हुए शुक्रवार को कहा कि ‘दहेज हत्या की बुराई’ दिन-ब-दिन बढ़ रही है. शीर्ष अदालत ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए विभिन्न निर्देश देते हुए कहा कि ‘दुलहन को जलाने और दहेज की मांग की सामाजिक बुराई’ पर रोक लगाने के लिए इसको लेकर दंडात्मक प्रावधानों की व्याख्या विधायी मंशा को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए. अदालत ने इस तरह के मामलों की सुनवाई करते समय न्यायाधीशों, अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष को सावधान रहने को लेकर आगाह करते हुए कहा कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि निचली अदालतें अक्सर किसी आरोपी के बयान को बहुत ही सरसरी तौर पर और विशेष रूप से आरोपी से उसके बचाव के बारे में पूछताछ किए बिना दर्ज करती हैं. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा, ‘भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी लंबे समय से चली आ रही सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए संसद द्वारा की गई कई विधायी पहलों में से एक है. दहेज उत्पीड़न की घृणित प्रकृति, जिसमें पति और उसके रिश्तेदारों की लालची मांगों के चलते विवाहिताओं से क्रूरता किया जा रहा है, पर ध्यान नहीं दिया गया है.’More Related News