दलित सब कोटा पर सुप्रीम फैसले के खिलाफ क्या मोदी सरकार कोर्ट में अपील करेगी?
AajTak
दलित वोटों के छिटकने के चलते 2024 के लोकसभा चुनावों में मिली शिकस्त के बाद बीजेपी के लिए बहुत विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के दलित सब कोटे वाले फैसले पर विरोध बढ़ता जा रहा है. बीजेपी इस मुद्दे को कैसे हैंडल करेगी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल के 2 सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और महाराष्ट्र में दलित राजनीति करने वाले आरपीआई के प्रमुख रामदास अठावले दलित सब कोटे पर सुप्रीम फैसले से खुश नहीं है. दोनों मंत्री इस फैसले को दलितों को बांटने वाला और आरक्षण को खत्म करने की साजिश जैसा बता रहे हैं. दूसरी तरफ एनडीए सहयोगियों में अधिकतर लोग ऐसे हैं जो इस फैसले से खुश हैं और इसका समर्थन भी कर रहे हैं.
समर्थन करने वालों में तेलुगुदेशम पार्टी सबसे ऊपर है. बिहार में हम पार्टी के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री जीतन राम मांझी ने हालांकि अभी कुछ बोला नहीं है पर माना जा रहा है कि इस फैसले से वो खुश हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुत पहले से दलित आरक्षण के सब कोटे के समर्थक रहे हैं. दलितों में महादलित को अलग आरक्षण का कॉन्सेप्ट उनका ही रहा है. भाजपा के सामने मुश्किल ये हो गई है कि वो इस फैसले का समर्थन करे या विरोध.
जिस तरह एक एक करके सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पार्टियां रुख अख्तियार कर रहीं हैं उससे लगता है कि बीजेपी को जल्द ही अपना स्टैंड क्लियर करना होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो बीजेपी का वोटर एक बार फिर भ्रमित होगा. बीजेपी का इस मुद्दे पर अभी तक क्लीयर स्टैंड न लेने के चलते दोतरफा मार झेलनी पड़ सकती है. एक तरफ तो दलितों को लगेगा कि बीजेपी इस फैसले के पीछे खड़ी है,दूसरे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की चुप्पी का फायदा उठाने से भी पार्टी वंचित हो सकती है.
1-तेलंगाना और आंध्र में सब कोटे का समर्थन बीजेपी की मजबूरी
तेलंगाना में ये स्थिति बन रही है कि तेलंगाना कांग्रेस , और बीजेपी दोनों ही इस फैसले का सपोर्ट कर रही हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पहले ही बोल चुके हैं कि अब उनके राज्य में सभी भर्तियों में दलित सब कोटे के आधार पर आरक्षण दिया जाएगा.
भाजपा खुद तेलंगाना में ऐसे उप-कोटे की वकालत करती रही है. 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बराबर 17 में से आठ सीटें जीतने वाली बीजेपी ने राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले ही दलित सब कोटे के प्रावधान का सपोर्ट किया था. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मडिगा समुदाय की उप-कोटा की लंबे समय से चली आ रही मांग पर गौर करने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की थी.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बड़ी स्वीकारोक्ति में माना है कि कांग्रेस दलितों और OBC के हितों की रक्षा उस तरह से नहीं कर पाई जैसा पार्टी को करना चाहिए था. राहुल ने इसके लिए 1990 के दशक के कांग्रेस नेतृत्व को दोष दिया. राहुल ने दो टूक कहा कि अगर वे ऐसा नहीं कहते हैं तो इसका मतलब है कि वे झूठ बोल रहे हैं.
दिल्ली में चुनाव है और चुनाव की इस गहमा-गहमी के बीच यमुना भी बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर उभरी है. दावा किया जा रहा है कि यमुना में जहर है. आरोप लग रहे हैं कि यमुना का जल पीने तो क्या आचमन के लायक भी नहीं है. दिल्ली की बड़ी रिहायश आज भी पानी की कमी से जूझ रही है. यमुना, जो दिल्ली में नालों का संगम बन गई है, जिसमें केमिकल के झाग जब-तब बहते नजर आते हैं.
यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है. केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर यमुना में जहर मिलाने का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी सांसद हर्ष मल्होत्रा ने पलटवार करते हुए उनसे सवाल पूछे. आजतक के शो सत्ते पे सत्ता में देखें हर्ष मल्होत्रा ने क्या कहा?
महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचे की संभावना थी. मेला प्रशासन की तरफ से भीड़ प्रबंधन के तमाम दावे किए जा रहे थे, लेकिन दावे सिर्फ दावे ही साबित हुए. भीड़ प्रबंधन में हुई लापरवाही और बदइंतजामी ने 30 श्रद्धालुओं को बेमौत मार दिया. अब सवाल यही है कि महाकुंभ में हुई भगदड़ का जिम्मेदार कौन है?
महाकुंभ को 18 दिन बीत चुके हैं. 29 करोड़ से ज्यादा लोग महाकुंभ में डुबकी लगा चुके हैं, मौनी अमावस्या के भगदड़ के अगले दिन यानी गुरुवार को ही पौने दो करोड़ लोग शाम चार बजे तक डुबकी लगा चुके हैं. एक भीड़ मौनी अमावस्य़ा पर थी, अब करोड़ों लोग बसंत पंचमी पर जुट सकते हैं, लेकिन जिम्मेदारों की नींद तब टूटी है, जब मौनी अमावस्या की रात भगदड़ में 30 मौत हो गईं.
दिल्ली पुलिस ने राजधानी में एक फर्जी वीजा रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने दो एजेंटों को भी गिरफ्तार किया है जो 10 लाख रुपये लेकर भोले-भाले लोगों को पोलैंड का फर्जी वीजा बनाकर देते थे. इस गिरोह की पोल तब खुली जब सौरव कुमार और सुमित कुमार नाम के दो शख्स पोलैंड जाने की कोशिश में थे. वो दुबई के रास्ते यात्रा कर रहे थे, लेकिन दुबई एयरपोर्ट पर उनके ट्रैवल डॉक्युमेंट्स फर्जी पाए गए. अधिकारियों ने उन्हें वहीं रोक लिया और डिपोर्ट कर भारत वापस भेज दिया.