दंगों का दर्द और बंटा हुआ समाज... दंगा प्रभावित नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में MCD चुनावों को लेकर ऐसा है माहौल
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फरवरी 2020 में हुए दंगों के बाद राजधानी दिल्ली में पहला चुनाव है. उस बुरे वक्त को बीते हुए भले ही दो साल हो गए हैं लेकिन लोगों के जहन में उसकी कड़वी यादें अबतक हैं. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की जिन सीटों पर दंगों का सबसे ज्यादा असर हुए था वहां अब क्या चुनावी माहौल है इस ग्राउंड रिपोर्ट से समझिए.
फरवरी 2020, दिल्ली दंगे. पढ़ते ही जो तस्वीरें सामने आईं वे भले दो साल पुरानी हो चुकी हैं, लेकिन नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के लोगों के लिए वो अब भी जैसे बीते कल-परसों की ही बात है. इन दंगों के दो साल बाद अब दिल्ली में पहला चुनाव है, ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि दंगों का दर्द झेलने वाले इस इलाके का मतदाता किसकी तरफ रुख करेगा.
MCD चुनाव 2022 के लिए हर पार्टी, उम्मीदवार दम खम लगाकर जीत के दावे के साथ मैदान में है. नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में सीट पर दंगे का कितना और कैसा असर है, परिसीमन के क्या नफा-नुकसान हैं, इसको समझकर ही पार्टियों ने उम्मीदवारों का भी चुनाव किया है.
MCD की 14-15 सीटों पर पड़ा था दंगे का असर
दंगों की बात करें तो इसका असर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के कई इलाकों पर पड़ा था. MCD सीटों के नजरिए से देखें तो ये इलाके करीब 14-15 सीटों में सिमटे हैं. ज्यादातर इलाकों में मिली-जुली आबादी रहती है और दोनों ही समुदाय के लोगों के जहन में दंगें से जुड़ी कोई ना कोई याद अबतक ताजा है.
दंगों का चुनाव पर क्या असर है, ये समझने के लिए हम उन इलाकों में गए जहां से दंगे शुरू हुए और जिन-जिन इलाकों पर उनका ज्यादा असर पड़ा. इसमें सीलमपुर, मौजपुर, नेहरू विहार आदि इलाके शामिल हैं. इन इलाकों में घूमने पर, लोगों से बात करने पर ये पता चलता है कि यहां दिल्ली MCD चुनाव में मुख्य टक्कर 15 साल से सत्ता में मौजूद भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच है. लेकिन नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में कुछ सीटों पर कांग्रेस का भी दबदबा है. एक सीट को ऐसी भी है यहां निर्दलीय उम्मीदवार को AAP कैंडिडेट ने सपोर्ट कर दिया है. जिन 15 सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM दिल्ली में चुनाव लड़ रही है, उसमें से ज्यादातर इसी क्षेत्र की हैं.
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