त्रिपुरा हाईकोर्ट ने लुप्तप्राय कारबोंग समुदाय पर अध्ययन का आदेश दिया
The Wire
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वे कारबोंग समुदाय के क्षेत्रों का दौरा करें और उनके जरूरतों का आकलन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें. त्रिपुरा में रहने वाले विभिन्न जनजातीय समुदायों में से चाईमल या चैमार, बोंग्चर, बोंग और कोरबोंग जैसे कुछ समुदायों की आबादी काफी कम है.
नई दिल्ली: त्रिपुरा हाईकोर्ट ने बीते सोमवार को त्रिपुरी जनजातियों के एक लुप्तप्राय समुदाय कारबोंग पर एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका (पीआईएल) दायर किया और केंद्र तथा राज्य सरकार को इस समुदाय पर अध्ययन करके नौ नवंबर तक एक हलफनामे में निष्कर्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और जस्टिस सुभाशीष तालापात्रा की खंडपीठ ने विलुप्त होने का सामना कर रहे कारबोंग समुदाय पर एक स्थानीय दैनिक में प्रकाशित लेख के आधार पर ये जनहित याचिका स्वीकार की है.
पीठ ने इस मामले के लिए अधिवक्ता हरेकृष्ण भौमिक को न्याय मित्र नियुक्त किया और सरकारों को उपयुक्त अधिकारियों की एक टीम बनाने का निर्देश दिया, जो उन क्षेत्रों का दौरा करेंगे, जहां समुदाय के लोग निवास करते हैं और उनकी जरूरतों का आकलन करके रिपोर्ट पेश किया जाएगा.
अदालत ने सरकारों को आगे के निर्देशों की प्रतीक्षा किए बिना मूल्यांकन के दौरान अनिवार्य रूप से आवश्यक कोई भी कदम उठाने का निर्देश दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.