
तौक्ते तूफ़ान: डूबता बार्ज, इंजन रूम में आग, गरजता समुद्र और बचने की आख़िरी उम्मीद लाइफ़ बोट भी पंचर
BBC
चक्रवात तूफ़ान तौक्ते के दौरान मौत से मुठभेड़ की टाइटैनिक जैसी कहानी बार्ज पी-305 से ज़िंदा लौटे दो कर्मचारियों ने सुनाई.
"क़रीब पाँच बजे पूरा बार्ज डूबने ही वाला था. ठीक वैसे ही जैसे टाइटैनिक के साथ हुआ था. हमने एक दूसरे का हाथ थाम लिया और सब लोग कूद पड़े. बार्ज पूरी तरह पानी के नीचे जा रहा था. जो हिम्मत जुटा सके वे कूद गए. कुछ ने उम्मीद खो दी थी और वे बार्ज के साथ ही डूब गए. समुद्र के पानी में हम ज़िंदा रहने की कोशिश करते रहे. लेकिन आख़िरकार हमने उम्मीद खो दी और इस बात को स्वीकार कर लिया कि हम वहीं मर जाएंगे. हममें से कुछ लोगों ने लाइफ़ जैकेट उतारकर मौत को गले लगा लिया." 16 मई की रात को विशाल केदार अपने जीवन में कभी भुला नहीं पाएँगे. ये वो रात थी जिसमें उन्होंने मौत से आँखें मिलाईं, उससे डरे भी पर आख़िरकार उसे चकमा देकर बच निकले. केदार बार्ज पी-305 पर वेल्डिंग सहायक का काम करते थे. बार्ज या बजरा नहरों और नदियों में माल ढोने के लिए इस्तेमाल होने वाली एक लंबी सपाट तल वाली नाव को कहा जाता है. कुछ बार्ज इंजन वाले होते हैं, दूसरों को किसी दूसरी बोट से खींचकर चलाया जाता है. बार्ज पी-305 मुंबई के तट पर तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के लिए काम कर रहा था. इस बार्ज को हीरा तेल क्षेत्रों में तैनात किया गया था. ये तेल क्षेत्र अरब सागर में ओएनजीसी के सबसे तेल के भंडारों में से एक है.More Related News