'...तो आप बहुत लंबे समय के लिए सदन से बाहर हो सकते हैं', राज्यसभा में सुरजेवाला पर क्यों भड़के सभापति?
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संसद में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कामकाज के मुद्दे पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे. इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि सभापति जगदीप धनखड़ कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला पर भड़क गए. सभापति ने कहा कि आप मुझे नेम करने के लिए फोर्स क्यों कर रहे हैं.
संसद के चालू मॉनसून सत्र के 11वें दिन सोमवार को राज्यसभा में जब कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बोलने के लिए खड़े हुए, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला एक पेपर दिखाने लगे. इस पर सभापति जगदीप धनखड़ उन पर भड़क गए. सभापति धनखड़ ने उनसे कहा कि सुरजेवाला, आप ये पेपर क्यों दिखा रहे हैं. सभापति ने सुजेवाला को टोका और कहा कि आप मुझे नेम करने के लिए मजबूर क्यों कर रहे हैं. सभापति ने सुरजेवाला से कहा कि अब अगर पेपर दिखाया तो आप बहुत लंबे समय के लिए सदन से बाहर हो सकते हैं.
सुरजेवाला ने कृषि मंत्री की ओर से जवाब में अपना नाम लिए जाने का हवाला देते हुए ये पेपर सदन पटल पर रखने की अनुमति मांगी. सभापति धनखड़ ने कहा कि आपकी पार्टी की लीडरशिप से अपेक्षा करूंगा कि वे आपको रिफ्रेशर कोर्स उपलब्ध कराएं. आप रूल बुक को पढ़िए. उन्होंने कहा कि आप किसान की बात नहीं सुनना चाहते हैं, किसानों के कल्याण की बात नहीं सुनना चाहते. इसके बाद शिवराज ने बोलना शुरू किया. उन्होंने केंद्र और राज्यों में कांग्रेस की सरकारों के समय हुए गोलीकांड और इन घटनाओं में मारे गए किसानों के आंकड़े गिनाने लगे.
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शिवराज की स्पीच के बीच विपक्षी सदस्यों ने हंगामा कर दिया और सदन से वॉकआउट कर दिया. विपक्ष के वॉकआउट के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदन में जब एक तरफ से व्यवधान होता है तब आसन की व्यवस्था बगैर जाने दूसरी तरफ से भी व्यवधान उत्पन्न कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि किसान को लेकर जब चर्चा हो रही है, हर सदस्य का मौलिक कर्तव्य है कि वह चर्चा में गंभीरता से भाग ले. सभापति ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर चर्चा के दौरान जिस सदस्य ने जितना समय मांगा, हमने उस सदस्य को उतना समय दिया.
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उन्होंने कहा कि जो व्यवधान पैदा किया गया है, वह आसन की अवहेलना है. यह अत्यंत गंभीर मामला है. सभापति ने कहा कि सुरजेवाला ने चर्चा की शुरुआत की थी, किसान के हित को दरकिनार करते हुए मंत्रीजी के भाषण में जो व्यवधान पैदा किया गया, उसका खंडन करता हूं. सदन के सदस्यों से भी आग्रह रहेगा कि सदन में चर्चा को सार्थक बनाइए. उन्होंने कहा कि चर्चा की गुणवत्ता में निरंतर गिरावट आ रही है. लोग अब हमारी तरफ आदर से नहीं देख रहे. लोग अब ये नहीं देख रहे हैं कि क्या चर्चा हो रही है.
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