तेलंगाना चुनाव में प्रचार, संदेश 2024 के लिए... PM मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां, तिरुमाला जाने के मायने क्या
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तेलंगाना चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां कीं. पीएम मोदी तिरुमाला भी पहुंचे और तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन-पूजन किए. तेलंगाना चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों और तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन-पूजन के मायने क्या हैं? समझिए.
तेलंगाना चुनाव के लिए प्रचार का आज अंतिम दिन है. चुनाव प्रचार थमने से पहले सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), विपक्षी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), तीनों ही दलों ने पूरी ताकत झोंक दी. लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की कोशिश में जुटी बीआरएस की ओर से मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव यानी केसीआर का पूरा परिवार प्रचार में जुटा नजर आया तो वहीं बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी सेंट्रल लीडरशिप को प्रचार के मैदान में उतार दिया. बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा ने प्रचार की बागडोर संभाली.
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना समेत पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा प्रोजेक्ट किए बिना मैदान में उतरी थी. बीजेपी हर राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे कर मैदान में उतरी. पीएम मोदी हर चुनावी राज्य में बीजेपी के प्रचार अभियान की अगुवाई करते भी नजर आए. पीएम मोदी ने तेलंगाना चुनाव के लिए प्रचार थमने से पहले ताबड़तोड़ रैलियां कर बीआरएस और सीएम केसीआर पर जमकर प्रहार किए. बीआरएस और कांग्रेस, दोनों को परिवारवादी पार्टी बताते हुए भ्रष्टाचार पर भी खूब घेरा. इन सबके बीच एक बात ने सबका ध्यान खींचा और वह था पीएम मोदी का तिरुमाला पहुंचकर तिरुपति बालाजी के दर्शन करना.
पीएम मोदी ने रविवार को तिरुमाला पहुंचकर तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन-पूजन किये. पीएम मोदी की इस प्रचार रणनीति को कोई तेलंगाना में हिंदुत्व की पिच मजबूत करने की कवायद बता रहा है तो कोई इसे 2024 के चुनाव से जोड़कर पूरे देश के लिए संदेश बता रहा है. बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति क्या है? इसे लेकर चर्चा छिड़ गई है. चर्चा इसलिए भी हो रही है, क्योंकि पीएम मोदी जिस दिन तिरुपति बालाजी के दर्शन करने पहुंचे थे उसके एक दिन पहले ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तेलंगाना में हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर और महबूबनगर का नाम पलामुरु करने का दांव चला था.
अगले ही दिन तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष जी किशन रेड्डी ने मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई, कलकत्ता का नाम कोलकाता, बॉम्बे का नाम मुंबई किए जाने का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि हमने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया. हैदराबाद का नाम फिर क्यों नहीं बदला जा सकता? तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष ने सवालिया लहजे में ये भी कहा कि हैदर कौन था? हैदराबाद का पुराना नाम भाग्यनगर था जिसे निजाम के शासन में बदला गया था. हम सत्ता में आए तो इसका नाम फिर से भाग्यनगर कर देंगे.
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पीएम मोदी के तिरुमला पहुंचकर तिरुपति बालाजी के दर्शन करने और हिंदुत्व के पोस्टर बॉय बन चुके योगी आदित्यनाथ के नाम बदलने वाले दांव का कितना इम्पैक्ट होगा, ये बहस का विषय हो सकता है लेकिन इसे सूबे में पार्टी की सियासी दिशा का संकेत माना जा रहा है. आबादी के लिहाज से देखें तो तेलंगाना में 2011 की जनगणना के मुताबिक 85 फीसदी से अधिक हिंदू हैं. फिर भी, सूबे की सियासत में बीजेपी कभी पैर नहीं जमा सकी. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि बीजेपी आखिर तेलंगाना चुनाव में क्या पाना चाहती है? राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि बीजेपी ऐसी पार्टी है जो दीर्घकालिक लक्ष्यों के साथ काम करती है. हिंदुत्व की पिच मजबूत करने के लिए तमाम दांव चले जा रहे हैं.
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