तेलंगाना: उपचुनाव में TRS की जीत, लेकिन BJP की हार में छिपा है बड़ा सियासी संदेश
AajTak
तेलंगाना की मुनुगोडे सीट पर उपचुनाव में टीआरएस से उम्मीदवार के. प्रभाकर रेड्डी थे और बीजेपी ने के. राजगोपाल रेड्डी को मैदान में उतारा था. प्रभाकर को 96598 वोट मिले. जबकि बीजेपी के राजगोपाल को 86485 वोट मिले. के. प्रभाकर रेड्डी ने चुनाव जीत लिया है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस से लड़ने वाले राजगोपाल ने प्रभाकर को शिकस्त दी थी.
तेलंगाना में मुनुगोडे सीट पर उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. शुरुआत से ही इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच आमने-सामने की लड़ाई मानी जा रही थी और ये मतगणना के शुरुआती दौर से आखिरी तक देखने को भी मिली. ये एक ऐसा उपचुनाव था, जिसमें टीआरएस और भाजपा ने जनबल और धनबल में कोई कमी नहीं छोड़ी. जीत के लिए दोनों दलों ने पूरी ताकत लगा दी. यहां तक कि ये देश में अब तक का सबसे महंगा उपचुनाव बताया जा रहा है. अंत में 11000 से ज्यादा वोटों से टीआरएस को जीत हासिल हुई. हालांकि, ये उपचुनाव बीजेपी के लिए बड़े फायदे का सौदा साबित हुआ है.
माना जा रहा है कि बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. पहले कांग्रेस में सेंध लगाई और सिटिंग विधायक के. राजगोपाल रेड्डी को पार्टी में शामिल किया और कमजोर कांग्रेस को और कमजोर कर दिया. यही वजह रही कि कांग्रेस उम्मीदवार पी श्रावंती तीसरे स्थान पर पहुंच गईं और उनकी जमानत जब्त हो गई. इसके साथ ही बीजेपी ने स्पष्ट रूप से तेलंगाना में टीआरएस को चुनौती देकर मुख्य विपक्षी दल के रूप में खुद को स्थापित कर लिया है. पिछले कुछ वर्षों में लगातार चुनावों में - चाहे वह दुबक (Dubbak) और हुजुराबाद के उपचुनाव हों या ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम - कांग्रेस को सिर्फ पिछली सीट पर जगह मिली है.
केसीआर समेत दिग्गजों को प्रचार में उतरना पड़ा
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा ने यह साबित कर दिया है कि उसके प्रचार अभियान के आगे टीआरएस को मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और पूरे मंत्रिमंडल समेत अपने सभी बड़े नेताओं को मैदान में उतारना पड़ा. चुनाव से पहले टीआरएस के चार विधायकों को खरीदने का कथित प्रयास देखा गया और केसीआर इस पर जोर दे रहे हैं कि बीजेपी अन्य राज्यों की तरह तेलंगाना सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है.
मुनुगोडे: कांग्रेस और लेफ्ट का गढ़ रहा है
इसके अलावा, मुनुगोड़े दक्षिण तेलंगाना में बीजेपी के लिए एक बड़ा प्रयोग भी था. उससे पहले के उपचुनाव में राज्य के उत्तरी हिस्से में जीत हुई थी. मुनुगोड़े में बेहतरीन प्रदर्शन ने पार्टी को उन जिलों के कार्यकर्ताओं में भी नई ऊर्जा दी है. जहां पार्टी का संगठन कमजोर है, वहां पार्टी कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ मुखर हो सकेंगे. मुनुगोड़े यहां पूर्व नलगोंडा जिले में आता है और ये इलाका परंपरागत रूप से वामपंथी और कांग्रेस का गढ़ रहा है. फैक्ट यह है कि कांग्रेस 2018 में जो सीट जीती थी, वो हार गई है और टीआरएस को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आगे उसे सहयोग की जरूरत पड़ सकती है. वहीं, भाजपा के लिए नए रास्ते खुल गए हैं.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने संभल हिंसा पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. पाठक ने बताया कि घटनास्थल पर पाकिस्तान निर्मित बंदूक के खोखे मिले हैं, जो चिंता का विषय है. उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया और कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है. देखें VIDEO
भारतीय नौसेना के लिए चार दिसंबर का दिन खास है क्योंकि यह नौसेना दिवस है और इसे पहली बार ओडिशा के पुरी के ब्लू फ्लैग बीच पर मनाया जा रहा है. इस भव्य आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं. इस मौके पर भारतीय नौसेना ने घोषणा की है कि वे 26 राफेल लड़ाकू विमान और 3 स्कॉर्पीन पनडुब्बी की डील पूर्ण करने के करीब हैं. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी से आज तक ने खास बातचीत की है.
स्वर्ण मंदिर के गेट पर सुखबीर बादल पर एक हमले की घटना घटी जब वे वहां सेवा कर रहे थे. एक शूटर ने चालाकी से हमला किया लेकिन वहां मौजूद पुलिस ने सही समय पर उसे विफल कर दिया. शूटर की गोली गुरुद्वारे की दीवार पर लगी. हमलावर नारायण सिंह खालिस्तान से जुड़ा पाया गया. उसने पहले बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए काम किया था. अचानक हुए इस हमले के बाद, पुलिस द्वारा उसे गिरफ्तार कर लिया गया. सुखबीर बादल हमले के वक्त नीले वस्त्र में दिखाई दिए. इस घटना ने सिख समुदाय में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है.
शिरोमणि अकाली दल के चीफ सुखबीर बादल पर हमला करने वाले नारायण सिंह का खतरनाक अतीत सामने आया है. अमृतसर पुलिस के अनुसार, नारायण सिंह बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़ा रहा है. 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेने वाला नारायण 2004 के बुडेल जेल ब्रेक में भी शामिल था. देखें पूरी क्राइम कुंडली
एकनाथ शिंदे अब अपनी शिवसेना के नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं. शिंदे ने बताया कि वह आज रात तक तय कर लेंगे कि वह फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होंगे या नहीं. यानी अभी तक यह साफ नहीं है कि वह डिप्टी सीएम के तौर पर सरकार में शामिल होंगे या नहीं. राजनीतिक गलियारों में सुगबुगाहट है कि पार्टी नेताओं के साथ बाचतीत के बाद शिंदे बड़ा ऐलान कर सकते हैं.