
तेजस्वी की मौजूदगी में नीतीश ने याद दिलाई लालू-राबड़ी सरकार की 'नाकामी', क्या देना चाहते मैसेज?
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नीतीश की पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए 17 सीटों पर कोई समझौता नहीं करने के अपने रुख पर कायम है. वाम दलों ने 9 और कांग्रेस ने 10 सीटें मांगी हैं. ऐसे में राजद के लिए 4 सीटें बचती हैं. जदयू के दावे ने राजद के लिए दुविधा पैदा कर दी है, क्योंकि उसे अपने गठबंधन सहयोगियों की मांगों और अपने हितों का भी ध्यान रखना है.
बिहार में इंडिया ब्लॉक में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा ऐसे संकेत सामने आ रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ललन सिंह एपिसोड के बाद जदयू और राजद के बीच संबंधों में तल्खी आई है. इंडिया ब्लॉक की वर्चुअल बैठक के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ओर से शनिवार को पटना के गांधी मैदान में एक कार्यक्रम के दौरान ऐसा बयान आया, जो इन अटकलों को और हवा दे सकता है. दरअसल, कल मुख्यमंत्री ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती किए गए शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपे.
कार्यक्रम में 26000 से ज्यादा शिक्षक शामिल हुए. इस दौरान अपने संबोधन में नीतीश कुमार ने पूर्ववर्ती लालू-राबड़ी सरकार पर स्पष्ट रूप से निशाना साधा. पूर्ववर्ती राजद सरकार पर कटाक्ष करते हुए, नीतीश ने याद दिलाया कि 2005 में जब उन्होंने राज्य की कमान संभाली थी, तब 12.5 प्रतिशत से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जाते थे. तब उनकी सरकार ने बड़े पैमाने पर टोला सेवकों और तालिमी मरकजों (शिक्षा सेवक) की भर्ती शुरू की. उन्होंने इन आंकड़ों के लिए राज्य सरकार द्वारा स्कूली छात्रों पर किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला दिया.
नीतीश ने याद दिलाई लालू-राबड़ी सरकार की विफलता
दरअसल, शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में दलित, महादलित एवं अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को जागरूक करते हैं. सीएम नीतीश ने टोला सेवकों और तालिमी मरकज से कहा, 'हम आपसे उम्मीद करेंगे कि आप स्कूलों में जाएं और अपनी सेवाओं का विस्तार करें. क्योंकि आपको शिक्षकों की तरह राज्य सरकार द्वारा भुगतान किया जा रहा है'. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह बयान लालू यादव के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती राजद सरकार की विफलता को उजागर करता है. उन्होंने जब यह वक्तव्य दिया, उस वक्त उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी मंच पर मौजूद थे.
बता दें कि बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर जेडीयू ने सहयोगी राजद के खिलाफ पहले ही मोर्चा खोल रखा है. नीतीश की पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए 17 सीटों पर कोई समझौता नहीं करने के अपने रुख पर कायम है. वाम दलों ने 9 और कांग्रेस ने 10 सीटें मांगी हैं. ऐसे में राजद के लिए 4 सीटें बचती हैं. जदयू के दावे ने राजद के लिए दुविधा पैदा कर दी है, क्योंकि उसे अपने गठबंधन सहयोगियों की मांगों और अपने हितों का भी ध्यान रखना है. इस बीच पटना में लगे एक पोस्टर्स को लेकर भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. शिक्षक भर्ती का क्रेडिट लेने वाले इन पोस्टर्स में सिर्फ नीतीश कुमार नजर आए, तेजस्वी गायब दिखे, जिस पर लिखा था 'रोजगार का मतलब नीतीश सरकार'.
इंडिया ब्लॉक का संयोजक बनने से नीतीश ने किया इनकार
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आम आदमी पार्टी हाल में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में 62 सीटों से नीचे गिरकर 22 सीटों पर आ गई. पार्टी के बड़े-बड़े धुरंधर जिनमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती शामिल हैं, चुनाव हार गए. लेकिन कालकाजी में काफी कड़े मुकाबले में आतिशी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को हराने में सफलता पाई.