'तीस्ता सीतलवाड़ ने दंगा पीड़ितों के साथ धोखा किया...', करीबी रईस खान का दावा
AajTak
24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगे पर एसआईटी की रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका को रद्द कर दिया था. इस याचिका को जाकिया जाफरी ने दाखिल किया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका रद्द करते हुए कहा था तीस्ता सीतलवाड़ के बारे में और छानबीन की जरूरत है, क्योंकि तीस्ता इस मामले में जकिया जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल गोपनीय ढंग से अपने स्वार्थ के लिए कर रही थी.
तीस्ता सीतलवाड़ मामले में अब नया मोड़ सामने आया है. जानकारी के मुताबिक तीस्ता के करीबी रहे रईस खान ने दावा किया है कि यह गिरफ्तारी तो पहले हो जानी चाहिए थी, जब हमने उनके खिलाफ शिकायत की थी. हालांकि देर हुई पर दुरुस्त हुआ. तीस्ता जैसे लोग जो विक्टिम के नाम पर पैसा लाते हैं, खा जाते हैं और अपने आपको सोशल एक्टिविस्ट कहते हैं, विटक्टिम के साथ जो विश्वास घात किया उसके लिए विक्टिम उसको माफ नहीं करेंगे. रईस खान ने कहा कि अब जो गिरफ्तारी हुई है उसमें खुद ब खुद सारे खुलासे हो जायेंगे.
रईस ने कहा कि तीस्ता ने विक्टिम के साथ धोखा किया है. ऐसे लोगों को माफ नहीं किया जाना चाहिए. तीस्ता ने देश और विदेश से फंड जमा किया और उसका एक परसेंट भी हिस्सा विक्टिम को नहीं दिया. साल 2008 में मेरा उनका झगड़ा भी इसी वजह से हुआ था.
रईस ने कहा कि मैं मुंबई में था, 1992 दंगे के दौरान तीस्ता से मिला था तब वो एक न्यूज़पेपर में रिपोर्ट करती थीं. उसके बाद उन्होंने इस्तीफा देकर कॉम्बेक्ट न्याय मंच के नाम से एनजीओ बनाया था. जिसके तहत तीस्ता ने काम किया था. इसमें मैंने उसका सपोर्ट भी किया था. लेकिन साल 1992 में काम खतम होने के बाद उससे ताल्लुकात खत्म हो गए थे.क्लिक करें: गुजरात दंगा: ATS का बड़ा एक्शन, तीस्ता सीतलवाड़ और एक पूर्व IPS गिरफ्तार मामले में आगे बात करते हुए रईस ने कहा कि फिर 2002 दंगों के बाद मैं गुजरात में था, दंगों के बाद तीस्ता ने मुझे कॉन्टेक्ट किया और कहा कि हमें दंगा पीड़ितों से बात करनी चाहिए, हम यहां भी उनके लिए काम करेंगे. रईस ने कहा कि मैं तीस्ता को एक ईमानदार महिला मानता था. तीस्ता जब गुजरात आईं तो मैंने उसको अलग-अलग इलाकों जैसे नरोदा पाटिया, नरोदा गांव, सरदारपुर जैसी जगहों के दंगा पीड़ितों से मिलवाया.
उसके बाद तीस्ता ने पीड़ितों से कहा कि हम तुम्हें न्याय दिलवाएंगे और तुम्हारी आर्थिक मदद भी करेंगे. जिसके बाद पीड़ितों के नाम पर फंड आया भी, लेकिन उन तक जितनी मदद पहुंचनी थी नहीं पहुंची. रईस ने बताया कि विक्टिम का एफिडेविट बनवाया गया, जिसमें विक्टिम को भी नहीं मालूम था कि उसमें क्या लिखा है और उस एफिडेविट को तीस्ता ने दंगों की जांच कर रही SIT और नानावटी कमीशन के सामने रख दिया, लेकिन जब नानावटी कमीशन के सामने और SIT के सामने पेश हुए और बयान में विरोधाभास हुआ तब खुलासा हुआ.क्लिक करें: गुजरात दंगा: तीस्ता सीतलवाड़ के घर पहुंची ATS, जानें पूरा मामला
ऐसे में मैने उससे कहा आप जिनके नाम पर फंड ला रही हैं, उनको तो दीजिए. तो तीस्ता ने कहा कि आपको मालूम नहीं है, मैं जहां-जहां से फंड लाती हूं बड़ी मुश्किल से मिलता है और उसमें भी एजेंट जो फंड दिलाते हैं 50 परसेंट फंड वो ले जाते हैं. तो उसमें जो बचता है उसमें से हम कहां से देंगे हमारे भी तो खर्चे हैं.
रईस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अब तो साबित हो गया कि विक्टिम का सारा पैसा उन्होंने अपने ऊपर खर्चा किया. तीस्ता गुलबर्ग सोसायटी को म्यूजियम बनाना चाहती थी, लेकिन मैं उसके हक में नहीं था. क्योंकि जो विक्टिम थे वो सोसायटी में न रह कर दूसरी जगह रहते थे. वो गुलबर्ग सोसायटी को बेचना चाहते थे, लेकिन तीस्ता कहती थी कि इसको म्यूजियम बनाएंगे और उसपे फंड लेंगे. इसी बात को लेकर मेरा तीस्ता से झगड़ा हुआ और साल 2008 में मैं उससे अलग हो गया था.
पाकिस्तान में इमरान खान की अपील पर उनके समर्थक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. वे डी-चौक तक मार्च करना चाहते थे, लेकिन उन्हें कंटेनर लगाकर बीच में ही रोक दिया गया है. दरअसल, इस क्षेत्र में संसद, पीएम और राष्ट्रपति का कार्यालय, और सुप्रीम कोर्ट भी है. यहां से एक चौंका देने वाला वीडियो सामने आया है, जहां सेना के जवान ने नमाज पढ़ रहे एक शख्स को कंटेनर से नीचे फेंक दिया.
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हम लगेज पॉलिसी लेकर आए हैं, जब भी हम कुछ लागू करते हैं, तो हमें सुझाव मिलते हैं, जनता की मांग थी कि दूध और सब्जी का उत्पादन करने वाले या सप्लाई करने वाले किसानों को हमारी बसों में रियायत दी जाए, हमने उनकी मांग को स्वीकार किया और दूध और सब्जी सप्लायरों के लिए टिकट हटा दिए हैं.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एहतियाती उपायों की समीक्षा के लिए सचिवालय में हाईलेवल बैठक बुलाई. इस दौरान भारी बारिश की संभावना वाले क्षेत्रों में NDRF और SDRF की टीमों को तैनात करने का निर्देश दिया. कुल 17 टीमों को तैनात किया गया है, इसमें चेन्नई, तिरुवरुर, मयिलादुथुराई, नागपट्टिनम और कुड्डालोर और तंजावुर जिले शामिल हैं.
हिंदू संगठन 'बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोते' एक बयान में कहा कि वकील सैफुल इस्लाम की हत्या में कोई सनातनी शामिल नहीं है. एक समूह सुनियोजित हत्या को अंजाम देकर सनातनियों पर दोष मढ़ने की कोशिश की जा रही है. हिंदू संगठन ने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की तत्काल बिना शर्त रिहाई और चिटगांव हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है.