तिरुपति लड्डू विवाद: घी खरीद में ठेके के नियमों का उल्लंघन, कंपनी ने नहीं दिया NABL सर्टिफिकेट, TTD की भी घोर लापरवाही?
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आजतक के हाथ घी के टेंडर की कॉपी लगी है जिसने खरीद प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया गया और घी को जांच के लिए नहीं भेजा गया. टेंडर के क्लॉज 80 के अनुसार आपूर्ति की गई घी की प्रत्येक खेप के लिए एनएबीएल सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना जरूरी है.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के एक दावे से बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के दौरान तिरुपति के लड्डुओं में पशु चर्बी का इस्तेमाल किया गया था. उन्होंने दावा किया किया पिछली वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को भी नहीं बख्शा और लड्डू बनाने के लिए घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया.
टीडीपी ने कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट दिखाई, जिसमें दिए गए घी के नमूने में “पशु की चर्बी”, “लार्ड” (सूअर की चर्बी से संबंधित) और मछली के तेल की मौजूदगी का भी दावा किया गया है. नमूने लेने की तारीख नौ जुलाई, 2024 थी और प्रयोगशाला रिपोर्ट 16 जुलाई की थी.
आजतक के पास है घी टेंडर की कॉपी
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या घी का टेंडर ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को दी गई “अनदेखी या जानबूझकर छूट” का मामला है? आजतक के हाथ घी के टेंडर की कॉपी लगी है जिसने खरीद प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक टेंडर की शर्तों का उल्लंघन किया गया और घी को जांच के लिए नहीं भेजा गया. टेंडर के क्लॉज 80 के अनुसार आपूर्ति की गई घी की प्रत्येक खेप के लिए एनएबीएल सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना जरूरी है.
इसके अलवा टेंडर क्लॉज 81 के अनुसार तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी के नमूनों को लैब परीक्षण के लिए भेजना अनिवार्य है. सवाल उठ रहे हैं कि अगस्त 2023 और जुलाई 2024 के बीच ब्लैक लिस्टेड कंपनी के पहले के नमूनों में ये मिलावट कैसे नहीं पकड़ी गई? क्या टीटीडी ने एनएबीएल/लैब परीक्षण के लिए नमूने नहीं भेजे? क्या ब्लैक लिस्टेड कंपनी ने उस बैच का एनएबीएल प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किया जिसमें मिलावट पाई गई थी?
आन्ध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मन्दिर भगवान विष्णु के अवतार भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जहां दर्शन के लिए आने वाले हिन्दू श्रद्धालुओं को पिछले 300 वर्षों से 'लड्डू' का विशेष प्रसाद दिया जा रहा है और इस लड्डू को वर्ष 2014 में GI टैग भी मिल चुका है, जिसका मतलब ये है कि तिरुपति तिरुमाला के नाम से ये लड्डू सिर्फ आन्ध्र प्रदेश के तिरुपति मन्दिर में ही मिल सकता है.
करोड़ों सनातन प्रेमियों की आस्था के केंद्र भगवान तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट की रिपोर्ट आने के बाद से सियासी धर्म युद्ध छिड़ गया है. आलम ये है कि मामले में फांसी और सीबीआई जांच तक की मांग हो गई है. दरअसल, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के पिछली जगनमोहन रेड्डी सरकार पर मंदिर में प्रसाद में घी की जगह मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिलाई जाने के आरोपों के बाद से विवाद जारी है.