तालिबान से पहली बार मिले भारतीय राजनयिक, क्या है वजह?
BBC
तालिबान के आने के बाद भारत ने उसे मान्यता नहीं देने की अपील दुनिया भर के देशों से भी की थी. लेकिन पहले मानवीय सहायता और अब बातचीत. तालिबान सरकार को लेकर भारत का अब तक रुख क्या रहा है?
भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जेपी सिंह के साथ एक शिष्टमंडल अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचा. अफ़ग़ानिस्तान में पिछले साल तालिबान की सरकार बनने के बाद से भारत के किसी सरकारी दल का ये पहला काबुल दौरा है.
जेपी सिंह के नेतृत्व में इस शिष्टमंडल ने तालिबान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुतक्क़ी से मुलाक़ात की और राजनयिक संबंधों, व्यापार और मानवीय सहायता पर चर्चा की.
बीबीसी पश्तो के मुताबिक, इस मुलाक़ात के बाद मुतक्क़ी ने भारतीय शिष्टमंडल के दौरे को अच्छी शुरुआत बताया. उन्होंने कहा कि भारत को अफ़ग़ानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति और कांसुलर सेवाएं फिर शुरू करनी चाहिए.
इस यात्रा के दौरान भारतीय दल उन अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात भी करेगा जो वहां मानवीय सहायता वितरण के काम से जुड़े हुए हैं.
साथ ही भारतीय दल उन जगहों पर भी जा रहा है जहां भारत की ओर से कार्यक्रम और योजनाएँ लागू की गई हैं.