
तालिबान रूस और चीन को भरोसे में ले रहा है पर भारत की उपेक्षा क्यों?
BBC
सैकड़ों करोड़ डॉलर के निवेश के बावजूद क्या भारत अफ़ग़ानिस्तान में हाशिये पर होगा जहाँ एक बार फिर पाकिस्तान का दबदबा हो सकता है.
अमेरिका के नेतृत्व वाली पश्चिमी देशों की सेना अफ़ग़ानिस्तान से तेज़ी से लौट रही है और उसी रफ़्तार से तालिबान हर रोज़ नए इलाक़ों पर कब्ज़ा करता जा रहा है. ऐसी हालत में भारत ख़ुद को एक अजीब स्थिति में पा रहा है. तालिबान को आधिकारिक तौर पर कभी मान्यता नहीं देने वाला भारत अब तालिबान को सत्ता पर काबिज़ होने की ओर बढ़ता देख रहा है. शायद यही वजह है की भारत अपनी बरसों पुरानी नीति को छोड़कर तालिबान के साथ बैक-चैनल से वार्ता कर रहा है. जून में जब भारत के विदेश मंत्रालय से पूछा गया कि क्या भारत सरकार तालिबान के साथ सीधी बातचीत कर रही है तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत अफ़ग़ानिस्तान में "अलग-अलग स्टेकहोल्डरों" के संपर्क में है. विदेश मंत्रालय ने तालिबान के साथ किसी वार्ता की पुष्टि नहीं की लेकिन उन रिपोर्टों से इनकार भी नहीं किया, जिनमें कहा गया था कि भारत तालिबान के कुछ गुटों के साथ बातचीत कर रहा है.More Related News