तालिबान के राज में क्या अल क़ायदा और आईएस का अड्डा बन सकता है अफ़ग़ानिस्तान?
BBC
पश्चिमी देशों को इस बात की चिंता है कि अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण कहीं चरमपंथी गुटों को वहाँ अपना ठिकाना बनाने का मौक़ा न दे दे.
अफ़ग़ानिस्तान के सुदूर कुनार प्रांत की एक घाटी में ऑनलाइन जिहादी चैट फ़ोरम पर चरमपंथी संगठन अल-क़ायदा के समर्थक ख़ुशियाँ मना रहे हैं. ये लोग अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की जीत को 'ऐतिहासिक विजय' मान रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान से उन सुरक्षाबलों के बाहर जाने से पूरी दुनिया में फैले पश्चिम विरोधी जिदाही समूहों को बड़ा उत्साह मिला है, जिन्होंने आज से 20 साल पहले यहीं की ज़मीन पर तलिबान और अल-क़ायदा को अस्थायी रूप से खदेड़ दिया था. इसके बाद इराक़ और सीरिया में हार के बाद नई ज़मीन तलाश रहे कथित इस्लामिक स्टेट जैसे चरमपंथी संगठनों से जुड़े लड़ाकों के लिए अब अफ़ग़ानिस्तान के वो अनियंत्रित स्थान पैर जमाने का नया अड्डा बन सकते हैं, जहाँ तालिबान ने बीते दशक बिताए हैं. पश्चिमी देशों के सैन्य अधिकारी और राजनेता चेतावनी देते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में अल-क़ायदा पहले से कहीं अधिक ताक़त के साथ वापसी कर सकता है. अफ़ग़ान संकट पर हुई एक आपात बैठक के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने चेतावनी दी कि अफॉग़ानिस्तान फिर से अंतरराष्ट्रीय चरमपंथियों का अड्डा न बन जाए, इसके लिए पश्चिमी देशों को एकजुट होना होगा.More Related News