तालिबान के इस्लामिक अमीरात ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के रिश्ते का भविष्य क्या?
BBC
ईरान के सरकारी और सबसे ज़्यादा रूढ़िवादी मीडिया संगठनों पर आरोप लगा है कि वे तालिबान की उदारवादी छवि गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. सच क्या है.
अगस्त महीने की शुरुआत में जब तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में क़ब्ज़ा करना शुरू किया तब ईरान के सरकारी और सबसे ज़्यादा रूढ़िवादी मीडिया संगठनों पर आरोप लगा कि वे तालिबान की उदारवादी छवि गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही यह भी कि वे तालिबान को ईरानियों को लुभाने के लिए मंच प्रदान कर रहे हैं.
तालिबान नेता ईरानी मीडिया समूहों को इंटरव्यू देते रहे हैं. अगस्त महीने में ही दो मौकों पर तालिबान नेता एक लाइव टीवी कार्यक्रम में अपने चरमपंथी संगठन की नीतियों पर चर्चा करने के लिए शामिल हुए. इसका मूल मक़सद जनता को ये भरोसा दिलाना था कि तालिबान ने अपने पुराने तौर-तरीके छोड़ दिए हैं. उस दौरान ईरान सरकार ने भी तालिबान के प्रति गर्मजोशी दिखायी.
ईरान सरकार के तालिबान की उदारवादी छवि गढ़ने की एक वजह यह मानी गयी कि ईरान इस समय तालिबान नेतृत्व वाली सरकार के साथ आर्थिक संबंध बनाने के लिए ज़मीन तैयार कर रहा है.
इसके बाद 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर क़ब्ज़ा कर लिया और फिर रूढ़िवादी अख़बारों ने अफ़ग़ानिस्तान के हालात के लिए सिर्फ़ अमेरिकी सरकार को दोषी ठहराया.
इन अख़बारों में अफ़ग़ानिस्तान के हालात के लिए अमेरिका की निंदा तो की गई, लेकिन तालिबान की किसी बात पर निंदा नहीं की गई.