
तालिबान के आने से क्यों डर रहे हैं तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान
BBC
अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी इलाकों में जैसे-जैसे तालिबान का दख़ल बढ़ रहा है, मध्य एशियाई देशों की सरकारें अपनी दक्षिणी सीमाओं पर चौकसी बढ़ाने के लिए तेज़ी से क़दम उठाने लगी हैं.
अफ़ग़ानिस्तान के उत्तरी इलाकों में जैसे-जैसे तालिबान का दखल बढ़ रहा है, मध्य एशियाई देशों की सरकारें अपनी दक्षिणी सीमाओं पर चौकसी बढ़ाने को लेकर तेज़ी से कदम उठाने लगी हैं. ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं जब सैकड़ों की संख्या में अफ़ग़ानिस्तान हुकूमत के सैनिकों ने तालिबान के हमलों से जान बचाने के लिए ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान की तरफ़ जाकर पनाह ली है. पर्यवेक्षक इस बात की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं कि तालिबान अफ़ग़ानिस्तान की बागडोर एक बार फिर से संभालने वाला है. चिंताएं इस बात को लेकर भी हैं कि अन्य चरमपंथी गुट मध्य एशिया में नया ठिकाना बना सकते हैं. कई विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल अमेरिका-तालिबान के बीच हुए समझौते के बावजूद अफ़ग़ानिस्तान के भीतर शांति प्रक्रिया के वापस पटरी पर लौटने की संभावना कमज़ोर दिखाई देती है. उनका कहना है कि अमेरिका-तालिबान समझौता केवल अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैनिकों के आसानी से निकल जाने का रास्ता मुहैया कराता है.More Related News