तालिबान और ईरान के रिश्ते इतने उलझे हुए क्यों हैं?
BBC
अफ़ग़ानिस्तान में कट्टरपंथी सुन्नी तालिबान के फिर से मजबूत होने की ख़बरों के बीच ईरान की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. तालिबान और ईरान के आपसी रिश्ते बेहद उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में कट्टरपंथी सुन्नी तालिबान के फिर से मजबूत होने की आशंकाओं के बीच ईरान की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. तालिबान और ईरान के आपसी रिश्ते बेहद उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. ईरान का अफ़ग़ानिस्तान के साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध है. ईरान खुद को अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों के संरक्षक के तौर पर पेश करता रहा है. शिया मुसलमान ईरान की बहुसंख्यक लोग है. ईरान ने लाखों अफ़ग़ान शरणार्थियों को पनाह दी है. शिया मत को मानने वाले हज़ारा समुदाय के लोगों को ईरान ने ख़ासतौर पर सीरिया के गृह युद्ध में अपने फतेमियोन ब्रिगेड में शामिल किया है. अतीत में कई मौकों पर तालिबान को ईरान का वरदहस्त मिला है लेकिन ये बात भी दिलचस्प है कि शियाओं को लेकर उसकी ऐतिहासिक चिढ़ का साया दोनों के रिश्तों पर लंबे समय से हावी रहा है. इसे यूं भी देखा जा सकता है कि ईरान और तालिबान के दोनों के रिश्ते सरहदी इलाकों में सुरक्षा ज़रूरतों पर आधारित हैं.More Related News