तालिबान और ईरान के बीच बढ़ती दोस्ती की वजह क्या है?
BBC
कभी युद्ध के मुहाने तक पहुंचे तालिबान और ईरान में इन दिनों एक-दूसरे के क़रीब आने की कोशिश कर रहे हैं. ईरान शिया बहुल है जबकि तालिबान शियाओं को प्रताड़ित करते रहे हैं. ऐसे में इस नज़दीकी की वजह क्या है, जानिए.
पिछले कुछ हफ़्तों से ईरान के सरकारी एवं सबसे ज़्यादा रूढ़िवादी मीडिया संगठनों पर आरोप लगाया जा रहा है कि वे तालिबान की उदारवादी छवि गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं और वे तालिबान को ईरानियों को लुभाने के लिए मंच भी प्रदान कर रहे हैं. तालिबान नेता ईरानी मीडिया समूहों को इंटरव्यू देते रहे हैं. हाल ही में दो मौकों पर तालिबान नेता एक लाइव टीवी कार्यक्रम में अपने चरमपंथी संगठन की नीतियों पर चर्चा करने के लिए शामिल हुए. इसका मूल मक़सद जनता को ये भरोसा दिलाना था कि तालिबान ने अपने पुराने तौर-तरीके छोड़ दिए हैं. इस समय ईरान सरकार भी तालिबान के प्रति गर्मजोशी दिखाती हुई नज़र आ रही है. सरकार द्वारा तालिबान की उदारवादी छवि गढ़ने की एक वजह ये हो सकती है कि ईरान इस समय तालिबान नेतृत्व वाली सरकार के साथ आर्थिक संबंध बनाने के लिए ज़मीन तैयार कर रहा है. अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े से पहले ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई और इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड्स से संबंधित कट्टरपंथी अख़बार 'केहान' और 'जवन' पर ये आरोप लगाया गया कि वे इस बात को आगे बढ़ा रहे हैं कि तालिबान सुधर चुका है.More Related News