
तरुण तेजपाल के बरी होने पर गोवा सरकार ने कहा- फ़ैसला त्रुटिपूर्ण और चौंकाने वाला
The Wire
बीते 21 मई को गोवा की एक सत्र अदालत ने पत्रकार तरुण तेजपाल को महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने के मामले से बरी करते हुए कहा था कि घटना का कोई मेडिकल प्रमाण नहीं है और शिकायतकर्ता की ‘सच्चाई पर संदेह पैदा करने’ वाले ‘तथ्य’ मौजूद हैं.
पणजीः तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल को यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी करने के फ़ैसले के खिलाफ अपील करते हुए गोवा सरकार ने गुरुवार को कहा कि हम हमारी लड़कियों के कर्जदार हैं. बरी करने के आदेश कानूनी रूप से गलत और अव्यवहार्य हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गोवा सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट की अवकाशकालीन पीठ को बताया कि जिस तरह से निचली अदालत ने यौन उत्पीड़न के इस मामले पर फैसला सुनाया है, उससे लगता है कि यौन उत्पीड़न की किसी भी पीड़िता को अपना ट्रॉमा जगजाहिर करना होगा और जब तक वह ऐसा नहीं करती, उस पर विश्वास नहीं किया जा सकेगा. जस्टिस एससी गुप्ते ने सत्र अदालत को निर्देश दिया कि तेजपाल के मामले में अपने फैसले में अदालत उन सभी संदर्भों को हटाए, जिससे पीड़िता की पहचान उजागर हो. इनमें पीड़िता का ईमेल एड्रेस और उनके परिवार के सदस्यों का नाम शामिल है. मेहता ने कहा, ‘मुझे खेद है कि हाईकोर्ट को यह करना पड़ा. निचली अदालत को यह करना चाहिए था. अदालत को संवेदनशील होना चाहिए.’More Related News