तब BJP से नजदीकी पर आरसीपी नपे, अब RJD को लेकर ललन पर लाल नीतीश! ये 7 अपने हो गए बेगाने
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सियासी हलकों में बिहार के सीएम नीतीश कुमार फिर चर्चा में हैं. कहा जा रहा है कि 2024 के चुनाव से पहले नीतीश अपनी पार्टी जेडीयू के पेच कसने में जुट गए हैं. नीतीश को लेकर कहा जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह को लेकर खटपट चल रही है. कहते हैं कि RJD से ललन सिंह की नजदीकी नीतीश कुमार को अखर रही है, इसलिए पार्टी अध्यक्ष पद से उनकी विदाई हो सकती है.
बिहार में जेडीयू के अंदरखाने एक बार फिर उथल-पुथल की खबरें हैं. कहा जा रहा है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार के करीबी नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहते हैं. नीतीश और ललन के बीच दरार की अटकलों के कई कारण गिनाए जा रहे हैं. हालांकि, अगर ललन सिंह पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी छोड़ते हैं तो जेडीयू के इतिहास में यह पहली बार नहीं होगा. इससे पहले भी नीतीश के बेहद करीबी नेता उनसे दूर हुए हैं. यहां तक कि पार्टी छोड़कर अन्य दलों में शामिल हो गए हैं. जानिए उनके बारे में...
दरअसल, जेडीयू के सूत्र बता रहे हैं कि ललन सिंह की आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के साथ नजदीकियां बढ़ रही हैं और नीतीश कुमार को यह रास नहीं आ रहा है. नीतीश को राजनीति का सबसे माहिर खिलाड़ी माना जाता है. अगर बीच में जीतन राम मांझी के कार्यकाल को छोड़ दें तो पिछले 18 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्हीं के पास है. बस सहयोगी और करीबी नेता बदलते रहते हैं. फिलहाल, जेडीयू ने 30 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बड़ी बैठक बुलाई है. इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं. इसमें नए अध्यक्ष पर फैसला हो सकता है. संभव है कि इस बार नीतीश कुमार खुद अपने पास पार्टी की कमान रख सकते हैं.
जीतनराम मांझी: नीतीश ने कभी मांझी को अपनी जगह बना दिया था सीएम
सबसे पहले बात जीतनराम मांझी की करते हैं. मांझी को एक समय नीतीश का सबसे पुराना और वफादार साथी माना जाता था. जीतन राम मांझी 20 मई 2014 को बिहार में सीएम की कुर्सी पर बैठे थे. वे राज्य के 23वें मुख्यमंत्री बने थे. मांझी को ये कुर्सी नीतीश ने खुद ही सौंपी थी. तब उन्हें नीतीश का सबसे भरोसेमंद माना जाता था. दरअसल, 2014 आम चुनाव में जेडीयू की हार के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद जेडीयू में नए नेता की तलाश शुरू हुई. उनकी तलाश जीतन राम मांझी पर आकर खत्म हुई. हालांकि, 9 महीने बाद ही नीतीश और मांझी के बीच अनबन हुई. उसके बाद मांझी को जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. वे विधानसभा में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए और सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. बाद में मांझी ने खुद की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा नाम से पार्टी बनाई और एनडीए अलायंस में शामिल हो गए.
2019 में वो फिर नीतीश के महागठबंधन में शामिल हो गए. इसी साल नीतीश और मांझी के बीच फिर खुलकर मनमुटाव देखने को मिला और मांझी ने एनडीए का दामन थाम लिया. हाल ही में नीतीश ने विधानसभा में एक बयान में कहा, इसको हमने मुख्यमंत्री बना दिया था. दो महीने के अंदर ही मेरी पार्टी के लोग कहने लगे- इसको हटाइए. ये गड़बड़ है. फिर हम मुख्यमंत्री बने थे. कहता रहता है, ये मुख्यमंत्री था... ये क्या मुख्यमंत्री था. ये मेरी मूर्खता से सीएम बना.
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