तख्तापलट सीरीज 1: जब लाखों की भीड़ में हुई थी पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री की हत्या, पढ़ लीजिए पूरी कहानी
ABP News
पाकिस्तान का इतिहास ही ऐसा रहा है कि आजादी के बाद से अब तक के उसके कुल 22 प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन कोई भी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है.
सियासी अस्थिरताओं के लिए कुख्यात पाकिस्तान के सियासी हालात फिर से अस्थिर हैं. उम्मीदों के साथ सत्ता में आए इमरान खान अब बेआबरू होकर रुखसती की कगार पर हैं, लेकिन ये पाकिस्तान का कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, जहां प्रधानमंत्री को वक्त से पहले अपनी कुर्सी से इस्तीफा देना पड़ा है. पाकिस्तान का इतिहास ही ऐसा रहा है कि आजादी के बाद से अब तक के उसके कुल 22 प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन कोई भी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. आखिर क्या रहा है पाकिस्तान की सियासत का इतिहास, आखिर क्यों कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. आखिर कैसे अपने पड़ोसी देश में हुई सियासी हलचल का सीधा असर अपने देश पर पड़ता रहा है. आखिर सभी पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों का भारत के साथ रिश्ता कैसा रहा है. इसे सिलसिलेवार ढंग से समझने की कोशिश है हमारी खास सीरीज तख़्ता पलट. इसमें जिक्र होगा पाकिस्तान में हुए अब तक के कुल 22 प्रधानमंत्रियों का, जिन्हें वक्त से पहले अपने पद से रुखसत होना पड़ा है.
अविभाजित भारत में जब जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में भारत में अंतरिम सरकार बनी तो जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने थे और मुस्लिम लीग के नेता लियाकत अली खान पहले वित्त मंत्री. जब भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान अलग मुल्क बना तो उस मुल्क के पहले प्रधानमंत्री बने लियाकत अली खान. पाकिस्तान के कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्ना के बाद मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता, जिन्होंने 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. सत्ता संभालने के साथ ही उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिशें भी शुरू हो गईं थीं. पाकिस्तान के सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट लियाकत के खिलाफ थे और उन्हें कुर्सी से हटाने की हर कोशिश कर रहे थे. इस बीच जिन्ना का भी धीरे-धीरे लियाकत से मोहभंग होने लगा था और जिन्ना को लगने लगा था कि लियाकत एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं. जिन्ना जब तक कुछ कर पाते, उससे पहले ही 1948 में उनका निधन हो गया और लियाकत अली निर्विवाद तौर पर पाकिस्तान की सत्ताधारी मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता बन गए. फिर फरवरी-मार्च 1951 में लियाकत अली को पता चला कि पाकिस्तानी सेना के एक जनरल अकबर खान ने उनका तख्तापलट करने की भी कोशिश की थी, जिसे नाकाम कर दिया गया था. पाकिस्तान के इतिहास में इसे रावलपिंडी कॉन्सपिरेसी के रूप में जाना जाता है, जिसमें पाकिस्तानी सेना के जनरल के अलावा भी 12 सैन्य अधिकारी शामिल थे.