
ढाका के गवर्नमेंट हाउस पर जब भारत के मिग विमानों ने किया हमला- विवेचना
BBC
1971 युद्ध की दसवीं कड़ी में पढ़िए किस तरह भारत के मिग विमानों ने ढाका के गवर्नमेंट हाउस में चल रही उच्च स्तरीय बैठक के दौरान वहां हवाई हमला किया. इस हमले ने इतना बड़ा मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया की दो दिन बाद 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
14 दिसंबर 1971 की सुबह ढाका के इंटरकॉन्टिनेंटल होटल के टेलीफ़ोन ऑपरेटर ने पूर्वी पाकिस्तान सरकार के प्रतिनिधि द्वारा किया गया एक अर्जेंट कॉल उठाया.
फ़ोन करने वाला शख़्स होटल में ठहरे हुए संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग के प्रतिनिधि जॉन केली से बात करना चाह रहा था. जब केली ने फ़ोन उठाया तो उस शख़्स ने उनसे कहा कि पूर्वी पाकिस्तान के गवर्नर डॉक्टर एएम मलिक आपसे बात करना चाहते हैं. मलिक ने केली और उनके साथी पीटर वीलर को गवर्नर हाउस आमंत्रित किया ताकि वो उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों से बात कर उन्हें सलाह दे सकें.
मलिक ने केली से कहा कि वह अपने साथ रेड क्रॉस के प्रतिनिधि स्वेन लैंपेल को भी लेते आएं. इस टेलिफ़ोन कॉल को भारतीय वायुसेना और सेना की पूर्वी कमान की वायरलेस इंटरसेप्शन यूनिट ने इंटरसेप्ट किया. इस बातचीत से ही पता चला कि इस बैठक में पूर्वी पाकिस्तान के मार्शल लॉ प्रशासक और पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान की वायुसेना के प्रमुख भी भाग लेंगे.
पूर्वी कमान के सिग्नल इंटेलिजेंस के प्रमुख लेफ़्टिनेंट कर्नल पी सी भल्ला सुबह साढ़े नौ बजे इस बातचीत की ट्रांस-स्क्रिप्ट पूर्वी कमान के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ मेजर जनरल जे एफ़ आर जैकब के पास ले गए. जनरल जैकब ने तुरंत शिलॉन्ग में पूर्वी वायुकमान के प्रमुख एयर वाइस मार्शल देवेशर को फ़ोन मिलाया. दोनों ने तय किया कि अगर गवर्नमेंट हाउस में होने वाली इस बैठक में भारतीय वायुसेना के विमान व्यवधान डालते हैं तो पाकिस्तानी सेना पर हथियार डालने के लिए मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ेगा.
बैठक शुरू होने से एक घंटा पहले हमला करने के आदेश