
डर का माहौल, भविष्य को लेकर कन्फ्यूजन... बांग्लादेशी हिंदू अब किस हाल में? ढाका से ग्राउंड रिपोर्ट
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ढाका एयरपोर्ट से निकलते ही बांग्लादेश की ऐसी तस्वीर दिखी, जिसकी कल्पना भी कभी किसी ने नहीं की होगी. ढाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर शहर की तस्वीर में भीड़ भाड़ तो है, लेकिन माहौल में एक अनकही अशांति फैली हुई है. पूरे ढाका शहर में कहीं भी पुलिस मौजूद नहीं है.
5 अगस्त 2024 बांग्लादेश के इतिहास में एक काला अध्याय बन कर रह गया. तीन बार की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना अपनी सरकार ही नहीं बल्कि अपना देश छोड़कर भागने पर मजबूर हो गईं. शहरों से लेकर सुदूर गांवों तक कट्टरपंथियों ने अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं को अपना निशाना बनाया.
कई इलाकों में जलाए गए हिंदू मंदिर 5 तारीख की रात से ही बांग्लादेशी कट्टरपंथियों और उपद्रवियों ने देश के 58 राज्यों में रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाने की कोशिश की. मेहरपुर से लेकर चिटगांव या शेरपुर से कई इलाके हैं जहां पर हिंदू मंदिरों को आग के हवाले कर दिया गया या तोड़फोड़ की गई. 5 दिन बाद बांग्लादेश के हालात कैसे हैं यह जानने के लिए आजतक की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची है.
माहौल में अनकही अशांति ढाका एयरपोर्ट से निकलते ही बांग्लादेश की ऐसी तस्वीर दिखी, जिसकी कल्पना भी कभी किसी ने नहीं की होगी. ढाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर शहर की तस्वीर में भीड़ भाड़ तो है, लेकिन माहौल में एक अनकही अशांति फैली हुई है. पूरे ढाका शहर में कहीं भी पुलिस मौजूद नहीं है.
स्कूल-कॉलेज के लड़के संभाल रहे ट्रैफिक शहर में कानून व्यवस्था अब बांग्लादेश की सेना को सौंप दिया गया है. सेवा के साथ सड़कों पर स्कूल-कॉलेज जाने वाले बांग्लादेश स्काउट कैडेट कोर और दूसरे संस्थानों के बच्चे हाथों में डंडा लेकर ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे हैं. एयरपोर्ट के बाहर सड़कों पर या तो मिलिट्री की चहल कदमी है या फिर बख्तर बंद गाड़ियों का दस्ता तैनात किया गया है तो कहीं सिपाही अत्याधुनिक मशीनगन लगाए बंकर बनाकर खड़ा है.
भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति जिस बाजार में सुबह शाम लोगों की भीड़ होती थी वहां संख्या कम हो गई है. सेना का पहरा लग गया है. शेख हसीना सरकार के खिलाफ कोटा कानून को लेकर आंदोलन की शुरुआत सबसे पहले युवाओं ने ही की थी. अब डॉक्टर यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन तो हो गया है, लेकिन बांग्लादेश का भविष्य क्या होगा इस पर अब असमंजस की स्थिति है.
आंदोलन से लेकर सड़कों पर व्यवस्था देख रही जाहिदा ने आजतक को बताया कि बांग्लादेश का भविष्य ठीक है लेकिन इस बात की चिंता है कि कुछ लोगों ने आंदोलन को बदनाम करने के लिए हिंदुओं को और उनके मंदिरों को निशाना बनाया और हमले किए.

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