'डंकी फ्लाइट' केस में बड़े खुलासे: अमेरिका जाने के लिए ₹40 लाख से 1.25 करोड़ तक में हुई डील, निकारगुआ-मेक्सिको से होनी थी एंट्री
AajTak
सीआईडी क्राइम ने बताया कि इनके पास टूरिस्ट वीजा था, लेकिन ये सभी अमेरिका में नौकरी के लिए जाने वाले थे. अमेरिका में इन यात्रियों को कैसे प्रवेश मिलना था, इस गैरकानूनी काम में इनका साथ कौन दे रहा था, ये पता लगाने के लिए जांच अभी चल रही है.
रोमानिया के ‘लीजेंड एयरलाइंस’ कंपनी के विमान एयरबस ए-340 को मानव तस्करी के संदेह में फ्रांस के वैट्री एयरपोर्ट पर चार दिनों तक रोककर रखा गया था. इस विमान में कुल 303 भारतीय यात्री सवार थे. उनमें से 276 यात्री 26 दिसंबर को मुंबई एयरपोर्ट पर लैंड हुए थे. बाकी के 27 यात्री फ्रांस में ही रह गए क्योंकि उन्होंने वहां शरण के लिए आवेदन किया था. यह विमान दुबई से निकारागुआ जा रहा था. विमान में सवार भारतीय यात्रियों में से एक तिहाई गुजराती थे.
गुजरात की सीआईडी क्राइम टीम ने 30 यात्रियों से पूछताछ की, जिसमें पता चला है कि अमेरिका जाने के लिए उनकी एजेंट्स के साथ 40 लाख रुपए से लेकर 1.25 करोड़ रुपए तक में डील हुई थी. बाकी बचे यात्रियों से सीआईडी क्राइम कल पूछताछ कर सकती है. यात्रियों से अब तक की गयी पूछताछ में सीआईडी को 6 एजेंट्स के बारे में पता चला है. इनसे अभी तक कोई पूछताछ नहीं हो पाई है. बाकी यात्रियों से पूछताछ के बाद सीआईडी एजेंट्स पर शिकंजा कस सकती है.
यात्रियों के पास निकारगुआ का टूरिस्ट वीजा मिला है
सीआईडी के मुताबिक जिन यात्रियों से पूछताछ हुई है वे अपने साथ ठगी होने की बात नहीं कह रहे और किसी के खिलाफ कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. इनके पास निकारगुआ का टूरिस्ट वीजा मिला है. यात्रियों का कहना है कि वे घूमने जा रहे थे. गुजरात के मेहसाणा, गांधीनगर, बनासकांठा, आणंद जिलों के यात्री 14 दिसंबर से दुबई पहुंचना शुरू हुए थे. ये सभी एक साथ निकारागुआ के लिए प्लेन मे सवार हुए थे. सीआईडी के मुताबिक ये लोग निकारागुआ से अमेरिका जाने वाले थे.
सीआईडी क्राइम ने बताया कि इनके पास टूरिस्ट वीजा था, लेकिन ये सभी अमेरिका में नौकरी के लिए जाने वाले थे. अमेरिका में इन यात्रियों को कैसे प्रवेश मिलना था, इस गैरकानूनी काम में इनका साथ कौन दे रहा था, ये पता लगाने के लिए जांच अभी चल रही है. यात्रियों को ये डर भी है की अगर कोई जानकारी खुलकर सामने आती है तो उन्होंने एजेंट्स को जो पैसे दिए हैं, उनके वापस मिलने की उम्मीद समाप्त हो सकती है. गुजरात की सीआईडी क्राइम ने मानव तस्करी के इस मामले की जांच के लिए चार टीमें गठित की हैं.
'साहित्य आजतक 2024' के मंच पर शनिवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विशेष रूप से आमंत्रित थीं. मौका था 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' के 2024 के समारोह का. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने अलग-अलग 8 कैटेगरी में सम्मान दिए और लेखक गुलज़ार को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड प्रदान किया. देखें इस दौरान महामहीम का भाषण.
महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत के बाद पीएम मोदी नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है. कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया. हमारी सरकार ने मराठी को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया. मातृभाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है.
भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन के साथ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में शानदार जीत दर्ज की है. इस मौके पर नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में जश्न का माहौल है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भी पहुंचे. पीएम ने इस दौरान बताया कि महाराष्ट्र में महायुति की जीत क्यों ऐतिहासिक है? देखें.
पिछले हफ्ते तक कैलाश गहलोत अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री थे. उन्होंने न केवल मंत्री पद से इस्तीफा दिया, बल्कि आप पार्टी भी छोड़ दी. इसके अगले ही दिन बीजेपी ने उन्हें बड़े धूमधाम से पार्टी में शामिल कर लिया. कैलाश गहलोत ने हाल ही में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी के एक बड़े विरोध प्रदर्शन में भी हिस्सा लिया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे अब पूरी तरह से बीजेपी के साथ हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में शानदार जीत दर्ज की है. इस मौके पर नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में जश्न का माहौल है. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी भी पहुंचे. पीएम मोदी ने जय भवानी, जय शिवाजी' के जयघोष के साथ अपना संबोधन शुरू किया.
गवर्नर कार्यालय ने स्पष्ट किया कि मूर्ति का अनावरण गवर्नर द्वारा नहीं किया गया था, बल्कि यह मूर्ति कलाकार और भारतीय संग्रहालय द्वारा भेंट के रूप में दी गई थी. इसके बावजूद, इस घटना ने एक राजनीतिक बहस को जन्म दिया है, जहां यह सवाल उठाया जा रहा है कि कोई व्यक्ति जीवित रहते हुए अपनी मूर्ति कैसे लगा सकता है.