ट्रायल, सजा और जुर्माना... जानें POCSO और पश्चिम बंगाल के बलात्कार विरोधी बिल में क्या है अंतर
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पश्चिम बंगाल के विधेयक के तहत अपराजिता टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर सजा दी जाएगी.नर्सों और महिला डॉक्टरों के आवाजाही वाले मार्गों को कवर किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने 120 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में 'अपराजिता महिला और बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) 2024' को पारित कर दिया. इस विधेयक में बलात्कार और हत्या के दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. यह विधेयक भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और POCSO में संशोधन की मांग करता है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि पश्चिम बंगाल के इस नए कानून और पॉक्सो में क्या अंतर हैं...
1. यौन शोषण के लिए सजा में इजाफा
पश्चिम बंगाल कानून: नए कानून के तहत यौन शोषण के लिए न्यूनतम सजा 3 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है. सजा 7 साल से 10 साल तक हो सकती है और इसके साथ जुर्माना भी हो सकता है.
जबकि POCSO एक्ट की धारा 8 के तहत, यौन शोषण करने वाले को कम से कम 3 साल की सजा दी जाएगी, जो 5 साल तक हो सकती है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
2. बच्चों के साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग
WB कानून: नए विधेयक के अनुसार, बच्चे के साक्ष्यों को 7 दिन के भीतर रिकॉर्ड किया जाएगा, जबकि POCSO में यह समय सीमा 30 दिन है.
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