ट्यूशन टीचर, बॉयफ्रेंड की सनक और बेगुनाह का कत्ल... कानपुर के कुशाग्र हत्याकांड की पूरी कहानी
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दसवीं में पढ़ने वाला कुशाग्र कनोडिया रोज की तरह अपनी स्कूटी लेकर कोचिंग सेंटर के लिए निकला था. वो आम तौर पर रात के आठ बजते-बजते घर वापस लौट आता था, लेकिन उस रोज़ 9 बज जाने पर भी कुशाग्र का कोई अता-पता नहीं था. उसका मोबाइल भी नॉट रिचेबल था.
Kushagra Murder Case: कानपुर में एक कपड़ा कारोबारी के 16 साल का बेटा अगवा कर लिया जाता है. किडनैपिंग शाम को ठीक सवा 4 बजे होती है. इसके बाद रात के साढ़े 8 बजे घरवालों को फिरौती के लिए लिखा गया एक खत मिलता है. लड़के की रिहाई के लिए अपहरणकर्ता 30 लाख की फिरौती मांगते हैं. मगर इससे पहले कि फिरौती की रकम दी जाती, पुलिस अपहरणकर्ताओं तक जा पहुंची. और फिर जो सच निकलकर सामने आया, उसने सबके होश उड़ा दिए.
30 अक्टूबर 2023, शाम 4 बजे, आचार्यनगर, कानपुर दसवीं में पढ़ने वाला कुशाग्र कनोडिया रोज की तरह अपनी स्कूटी लेकर कोचिंग सेंटर के लिए निकला था. वो आम तौर पर रात के आठ बजते-बजते घर वापस लौट आता था, लेकिन इस रोज़ 9 बज जाने पर भी कुशाग्र का कोई अता-पता नहीं था. ऐसे में घरवालों ने उससे बातचीत करने की कोशिश की. उसे फोन लगाया, लेकिन उसका मोबाइल लगातार नॉट रिचेबल आ रहा था. अभी घरवाले कुशाग्र को लेकर परेशान ही थे कि तब तक कुछ ऐसा हुआ कि कनोडिया परिवार के होश उड़ गए.
घरवालों की मिली चिठ्ठी उनकी बिल्डिंग के नीचे तैनात सिक्योरिटी गार्ड ने अचानक उनके घर की घंटी बजाई. दरवाजा खोलते ही गार्ड ने बताया कि अभी स्कूटी पर दो लोग आए थे और वो ये चिट्ठी दे कर गए हैं. घरवालों ने जैसे ही सादे कागज पर लिखी वो चिट्ठी खोली, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई.
फिरौती में मांगे थे 30 लाख चिट्ठी में लिखा था 'मैं नहीं चाहता कि आपका त्यौहार बर्बाद हो. आप मेरे हाथ में पैसे रखो और लड़का 1 घंटे बाद आपके पास होगा. हम आपको फोन करेंगे. अल्लाह हू अकबर. इस लड़के की गाड़ी और इसका मोबाइल दोनों आपके घर के पास होटल द सिटी क्लब के पास खड़ी है. मैं आपका नुक़सान नहीं चाहता. आपसे बार-बार बोल रहा हूं कि घबराओ ना. आप अल्लाह पे भरोसा रखो. आपसे निवेदन है कि आप ये बात पुलिस और ना ही अपनी लखनऊ वाली फैमिली, ना ही अपने अलग-बगल किसी को बताएं कि हमने आपके कुशाग्र को किडनैप कर लिया है. आपके पास दो या तीन दिन का समय है. आप जल्दी से 30 लाख का इंतजाम कर लो और ये बात कहीं भी फैली तो उसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे.'
घरवालों का सता रहा था अनहोनी का डर ये चिट्ठी पढ़ते ही पूरे कनोडिया परिवार की सांसें अटक गईं. चिट्ठी में और भी कई ऐसी बातें लिखी थीं, जिससे ये साफ हो रहा था कि कुशाग्र को अगवा करने वाले लोग कनोडिया परिवार को अच्छे से जानते हैं यानी परिवार के करीबी हैं. लेकिन वो कौन हैं ये साफ नहीं था. कुशाग्र कानपुर में कपड़े के बड़े कारोबारी मनीष कनोडिया का बड़ा बेटा था. और रोज अकेले ही ट्यूशन के लिए जाता था, लेकिन जिस तरह से आज वो गायब हो गया था और अब ये चिट्ठी मिली थी, वो अपने-आप में किसी बड़ी अनहोनी का डर पैदा कर रहा. अब परिवार ने बिना देर किए पुलिस को इसकी खबर दी. पुलिस ने कुशाग्र के मोबाइल नंबर को ट्रैक करने की कोशिश करने के साथ-साथ पूरे रूट की सीसीटीवी फुटेज की स्कैनिंग की तैयारी करने लगी.
मास्क लगाकर आए थे चिठ्ठी देने वाले इस बीच घरवालों ने चिट्ठी देकर जाने वाले बदमाशों के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने के इरादे से गार्ड से पूछताछ की. गार्ड ने बताया कि चिट्ठी देने वाले दोनों लड़कों ने अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था. वो लड़कों को तो नहीं पहचान सका, लेकिन वो जो स्कूटी लेकर आए थे, वो रचिता मैम का था. रचिता मैम असल में कुछ साल पहले तक कुशाग्र को ट्यूशन पढ़ाती थी. और इन दिनों रचिता कुशाग्र के छोटे भाई की ट्यूटर थी. यानी रचिता कनोडिया परिवार को और कनोडिया परिवार रचिता को अच्छी तरह जानता था. गार्ड ने स्कूटी का नंबर भी नोट कर लिया था, नंबर प्लेट में सिर्फ एक लेटर को छोड दें तो ये नंबर भी रचिता की स्कूटी का ही था.
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