
टेक फॉग केवल प्रोपेगैंडा नहीं बल्कि नरसंहार को उकसाने का टूल है
The Wire
आईटी सेल की रहस्यमयी दुनिया में राष्ट्र निर्माण के नाम पर कितने नौजवानों को अपराधी बनाया जा रहा है, इससे सतर्क होने की ज़रूरत है. टेक फॉग सरकार का टूलकिट- भाजपा का, भाजपा के द्वारा और भाजपा के काम आने वाला. इससे बहुसंख्यक समाज ने ख़ुद को नहीं बचाया तो घर-घर में हत्यारे पैदा हो जाएंगे.
टेक फॉग ऐप सिर्फ एक ऐप नहीं है, टूलकिट तैयार करने की फैक्ट्री है जिसके पीछे के तार सरकार से जाकर जुड़ते हैं. द वायर की रिपोर्ट पढ़ने के बाद दिशा रवि का मामला याद आने लगा. जब सरकार टूलकिट, टूलकिट जपते हुए एक नौजवान लड़की पर हमलावर हो गई थी. उसे जेल में बंद कर दिया गया.
पॉप स्टार रिहाना ने जब किसानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर टिप्पणी की थी, तब क्रिकेट के खिलाड़ी से लेकर फिल्मी सितारे तक एक ही तरह का बयान ट्वीट करने लगे थे. टूलकिट के जवाब में यह टूलकिट कहां से आया था? सरकार के पास टूलकिट तैयार करने के ऐसे कितने ऐप हैं, कितनी फैक्ट्रियां हैं, कोई नहीं जानता. इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि टेक फॉग ऐप पहला और आख़िरी ऐप रहा होगा.
टेक फॉग ऐप को केवल टूलकिट तैयार करने के एक ऐप तक सीमित नहीं करना चाहिए. यह उस राजनीतिक मनोवैज्ञानिक सिस्टम का हिस्सा है जिसके ऐसे कई ऐप और प्लेटफॉर्म हैं. गोदी मीडिया भी उसी तरह का एक ऐप है जिसके जरिये उसी तरह की प्रोपेगैंडा सामग्री फैलाई जाती है बल्कि मीडिया के कवर में उसे व्यापक मान्यता दिलाई जाती है.
द वायर की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 में मार्च महीने में तब्लीगी जमात को लेकर खास तरह के नफरती टेक्स्ट बनाए गए थे और उसे अनाम खातों के जरिये ट्विटर पर ट्रेंड कराया गया था. जमात को कोरोना जिहाद से जोड़ा गया था. इसी तरह के पोस्ट चारों तरफ़ फैल गए थे.