
टीपू सुल्तान की मराठाओं से दुश्मनी के कारण उनका विरोध कितना सही-ग़लत?
BBC
18वीं सदी में मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान एक बार फिर से विवादों में हैं. इतिहासकार कहते हैं कि यह नया विवाद उनके बारे में 'इतिहास की जानकारी' के बजाय प्रचलित बातों पर आधारित है.
टीपू सुल्तान के राज्य के इतिहासकार मुंबई में एक पार्क को उनका नाम दिए जाने पर हुए विवाद को लेकर हैरान नहीं हैं, क्योंकि पेशवाओं ने उनके और उनके पिता हैदर अली के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी.
18वीं सदी में अंग्रेज़ों से लड़ते हुए युद्ध मैदान में मारे जाने वाले देश के एकमात्र शासक के ख़िलाफ़ यह नया विवाद उनके बारे में 'इतिहास की जानकारी' के बजाय प्रचलित बातों पर आधारित है.
पहली नज़र में, कम से कम एक इतिहासकार इस बात से सहमत हैं कि टीपू सुल्तान के ख़िलाफ़ मौजूदा विरोध को देखते हुए, पार्क या खेल का मैदान उनके नाम पर रखने की सोचना लोगों के विशेष समूह के लिए संभवतः आक्रामक हो सकता है.
मैसूर विश्वविद्यालय में टीपू चेयर प्रोफ़ेसर रह चुके प्रोफ़ेसर सेबेस्टियन जोसेफ़ ने बीबीसी हिंदी से कहा, "महाराष्ट्र के लोगों को शायद ये नहीं पता कि टीपू सुल्तान एक राष्ट्रीय हीरो थे क्योंकि 19वीं सदी तक 'एक भारत' या भारतीयता की पहचान नहीं थी. वे कहते हैं कि तब, मराठा, बंगाली या मैसूर की पहचान थी."
लेकिन जिस बात से इतिहासकार अचंभित हैं वो ये है कि टीपू सुल्तान के बारे में ये जो बात कही जाती है कि वो 'दक्षिण भारत के सबसे क्रूर आक्रमणकारियों में से एक' थे.