टाइटन हादसे के दो महीने बाद टाइटैनिक का मलबा निकालने की तैयारी, अमेरिका क्यों कर रहा है विरोध?
AajTak
साल 1912 में अटलांटिक महासागर में डूबा टाइटैनिक जहाज एक बार फिर चर्चा में है. चर्चा का मुख्य कारण टाइटैनिक का मलबा निकालने का प्लान है. अमेरिका इसका कड़ा विरोध रहा है. टाइटैनिक हादसे को अब तक का सबसे बड़ा समुद्री हादसा माना जाता है. इस हादसे में करीब 1500 लोगों की जान चली गई थी.
जॉर्जिया स्थित आरएमएस टाइटैनिक इंक (आरएमएसटी) कंपनी अगले साल टाइटैनिक का मलबा निकालने की तैयारी कर रही है. अमेरिकी सरकार आरएमएसटी के इस अभियान का कड़ा विरोध कर रही है और इसे रोकने के लिए निर्णायक रूप से हस्तक्षेप कर रही है.
अमेरिका की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब दो महीना पहले ही हुए टाइटन पनडुब्बी हादसे के बाद यह सवाल उठाया जाने लगा था कि यह कौन नियंत्रित करता है कि टाइटैनिक के अवशेष तक कौन जा सकता है. टाइटन पनडुब्बी हादसे में पनडुब्बी पर सवार सभी 5 लोगों की मौत हो गई थी.
अमेरिकी न्यूज वेबसाइट 'न्यूयार्क टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौते का हवाला देते हुए अमेरिका, आरएमएसटी के इस अभियान का कड़ा विरोध कर रहा है. संघीय कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौता जहाज के मलबे को कब्रगाह के रूप में मान्यता देता है.
वर्तमान में जॉर्जियाई कंपनी आरएमएस टाइटैनिक इंक के पास ही टाइटैनिक जहाज के मलबे को बचाने का अधिकार है. यह कंपनी टाइटैनिक जहाज के मलबे को निकाल कर प्रदर्शित करती है, जिसमें चांदी के बर्तन से लेकर टाइटैनिक के सेगमेंट तक की वस्तुएं शामिल हैं.
आरएमएसटी के अभियान का विरोध
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सरकार टाइटैनिक जहाज के मलबे को लेकर कानूनी कार्रवाई कर रही है कि कौन जहाज से कलाकृतियों को रिकवर कर सकता है. साथ ही यह संभावना है कि अमेरिका आरएमएसटी के अभियान पर रोक लगा सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डोमिनिका के सर्वोच्च पुरस्कार 'डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया. इस सम्मान का आयोजन गुयाना में आयोजित भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन में डोमिनिका की राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन ने किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद इसे भारत के 140 करोड़ नागरिकों को समर्पित किया है. देखें...
इस सम्मान से सम्मानित होने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि गुयाना के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर मैं मेरे मित्र राष्ट्रपति इरफान अली का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं. ये सम्मान केवल मेरा ही नहीं बल्कि भारत के 140 करोड़ लोगों का सम्मान है. यह हमारे संबंधों के प्रति आपकी गहरी प्रतिबद्धता का सजीव प्रमाण है जो हमें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा.
अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टेट के लॉस एंजलेस शहर में यूएस इमिग्रेशन डिपार्टमेंट एक शख्स के ट्रैवल डॉक्यूमेंट चेक कर रहा था. उसके पास भारतीय पासपोर्ट था. पासपोर्ट पर उसका नाम भानू लिखा हुआ था. बाद में खुलासा हुआ कि भानू कोई और नहीं बल्कि लॉरेंस बिश्नोई का छोटा भाई और दस लाख रुपये का इनामी आतंकवादी अनमोल बिश्नोई है.