झारखंड: नौकरी घोटाला मामले को ‘अलग राष्ट्र की मांग’ का मुद्दा क्यों बना दिया गया?
The Wire
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम ज़िले में पिछले कई महीनों से ‘हो आदिवासी’ समुदाय के कुछ युवक ब्रिटिशकालीन ‘कोल्हान गवर्नमेंट एस्टेट’ में ग्रामीण पुलिस और ‘हो भाषा’ के शिक्षक के पद के लिए हज़ारों आदिवासियों की बहाली कर रहे थे. आवेदकों से आवेदन और बीमा के नाम पर पैसे भी लिए जा रहे थे. हालांकि इस नौकरी घोटाले को ‘अलग राष्ट्र की मांग’ का नाम दे दिया गया.
पिछले महीने झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम ज़िले में ‘हो आदिवासी’ समुदाय के लोगों और पुलिस के बीच हिंसा की एक घटना हुई थी. मुख्यधारा के मीडिया में से कई ने (आज तक, ज़ी न्यूज़, प्रभात खबर, हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, न्यूज़18) इस घटना को तुरंत अलग देश की मांग कर रहे देशद्रोही आदिवासियों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई करार कर दिया था.
मज़ेदार बात यह है कि इस पूरी घटना का ‘अलग देश’ की मांग के साथ कुछ लेना-देना नहीं था, बल्कि इसके पीछे नौकरी घोटाले की एक कहानी है.
बीते 23 जनवरी को पुलिस ने झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में आदिवासी समुदायों के लोगों को निशाना बनाने से संबंधित नौकरी घोटाले का भंडाफोड़ किया था. रिपोर्ट के अनुसार, संदिग्ध ब्रिटिशकालीन ‘कोल्हान गवर्नमेंट स्टेट’ के बैनर तले ‘भर्ती’ कर रहे थे.
इस मामले ने फिर से आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों और उनके लिए बने क़ानूनी प्रावधानों के लगातार हो रहे उल्लंघनों को उजागर किया है.