झारखंड: देवघर रोपवे हादसे के बाद गृह मंत्रालय अलर्ट, सभी राज्यों को जारी की एडवाइजरी
AajTak
झारखंड में देवघर हादसे का रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है. वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन ने 46 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई.
देवघर रोपवे हादसे के बाद, केंद्रीय गृह सचिव ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एडवाइजरी जारी की है. इसमें उन्होंने सभी राज्यों से कहा कि रोपवे के लिए एक एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) और आकस्मिक योजना बननी चाहिए. भारतीय मानक ब्यूरो के तहत, रोपवे के लिए पहले से तय किए गए संचालन और रखरखाव के मानकों का पालन किया जाना चाहिए. हर रोपवे की सुरक्षा व ऑडिट करने के लिए, अनुभव और योग्य फर्मों को काम पर रखा जाना चाहिए. मेनटेनेंस मैनुअल बनाए जाने चाहिए. बता दें कि त्रिकूट रोपवे की घटना को लेकर, दिल्ली में गृह मंत्रालय ने हाई लेवल मीटिंग की थी.
गृह मंत्रालय ने झारखंड के देवघर में रोपवे दुर्घटना के मद्देनजर एडवाइजरी जारी की। pic.twitter.com/wlaFwUgKAo
46 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन
झारखंड के देवघर में त्रिकूट पर्वत पर रोपवे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है. 46 घंटे की जद्दोजहद के बाद, हवा में अटके लोगों को बचा लिया गया है. इस हादसे में तीन लोगों की मौत हुई है. हादसे में 10 ट्रालियां हवा में अटक गई थीं, जिसमें 48 लोग सवार थे. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने रेस्क्यू अभियान चलाया था.
कैसे हुआ हादसा
झारखंड पर्यटन विभाग के निदेशक राहुल सिन्हा ने कहा कि 10 अप्रैल को रोपवे का एक्सल उतर गया था, जिस वजह से रोप-वे बीच में ही रुक गई थी. रामनवमी पर यहां पूजा करने और घूमने के लिए सैकड़ों की संख्या में पर्यटक पहुंचे थे. रोपवे की एक ट्रॉली नीचे आ रही थी, जो ऊपर जा रही ट्रॉली से टकरा गई. रोपवे की तीन ट्रॉली के डिस्प्लेस होने और आपस में टकराने की वजह से, ऊपर की ट्रॉलियां भी हिलने लगीं. इस वजह से वो भी पत्थरों में जाकर टकरा गए, जिस वजह से हादसा हुआ. इधर घायलों को इलाज के लिए देवघर सदर अस्पताल भेज दिया गया है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.