ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे की मिली इजाजत, मुस्लिम पक्ष ने किया था विरोध
AajTak
वाराणसी की कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे कराने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे करने की इजाजत दे दी है. मामले की अगली सुनवाई को 4 अगस्त को तय की गई है. कोर्ट ने ASI को 4 अगस्त तक सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.
वाराणसी की कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे कराने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने विवादित हिस्से (वजूखाना) को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे कराने की अनुमति दी है. मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनकर सर्वे की अनुमति दे दी है. वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को तय की गई है. कोर्ट ने ASI को 4 अगस्त तक सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.
दरअसल, 14 जुलाई को वाराणसी के चर्चित श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में मस्जिद का सर्वे कराने की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई थी. तब जिला जज ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था. 16 मई 2023 को चारों वादी महिलाओं की तरफ से हिंदू पक्ष ने एक प्रार्थनापत्र दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की ASI से जांच कराई जाए. इसी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इजाजत दे दी है.
हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया, "मुझे सूचित किया गया है कि मेरा आवेदन मंजूर कर लिया गया है और अदालत ने वज़ू खाने को छोड़कर, जिसे सील कर दिया गया है, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है."
दोनों पक्ष ने दी थीं ये दलील
12 और 14 जुलाई 2023 को व्यापक बहस में मुस्लिम पक्ष द्वारा घोर आपत्ति की गई थी. उन्होंने कहा था कि यदि ज्ञानवापी परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण होता है, तो ऐसी दशा में उत्खनन आदि से ज्ञानवापी के ढांचे को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. लिहाजा किसी भी प्रकार से ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का पुरातात्विक सर्वे नहीं होना चाहिए. साथ ही इस मामले में हिंदू पक्ष के द्वारा साक्ष्य संकलन किया जा रहा है, जो कि विधि सम्मत नहीं है.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.