ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने के लिए ASI को मिला 4 और हफ्ते का समय
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उम्मीद है कि एएसआई की टीम अगले महीने 6 अक्टूबर तक जिला जज एके विश्वेश की कोर्ट को रिपोर्ट सौंप देगी. शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान जज अजय कृष्ण विश्वेश ने समय देते हुए कहा कि एएसआई ध्यान रखे कि सर्वेक्षण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक ही हो. उन्होंने एक बार फिर एएसआई को ताकीद की कि कहीं कोई खुदाई न की जाय इसका पूरा ध्यान रखा जाए.
ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे कर रही एएसआई की टीम को वाराणसी जिला कोर्ट ने 4 हफ्ते का समय और दिया है. अब उम्मीद है कि एएसआई की टीम अगले महीने 6 अक्टूबर तक जिला जज एके विश्वेश की कोर्ट को रिपोर्ट सौंप देगी. शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान जज अजय कृष्ण विश्वेश ने समय देते हुए कहा कि एएसआई ध्यान रखे कि सर्वेक्षण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक ही हो. उन्होंने एक बार फिर एएसआई को ताकीद की कि कहीं कोई खुदाई न की जाय इसका पूरा ध्यान रखा जाए.
दरअसल, मोहलत बढ़ाने की अर्जी में एएसआई की ओर से दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करने की वजह से ही सर्वेक्षण का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है. क्योंकि किसी चीज को कहीं भी रत्ती भर भी नुकसान ना हो, लिहाजा हाथों में ही उपकरण पकड़ कर बहुत एहतियात बरतते हुए सर्वे का काम आगे बढ़ रहा है. तहखानों के भीतर दीवारों के साथ दशकों से बहुत मलबा पड़ा है. उसके नीचे चीजें दबी पड़ी हैं. बहुत सावधानी से मलबा हटाना, सबूत यानी सर्वेक्षण की वस्तुएं निकालने में बहुत समय लग रहा है.
एएसआई ने कहा कि मलबा हाथों से ही हटाया जा रहा है, क्योंकि औजार और मशीन इस्तेमाल करते ही उसे खुदाई का नाम दिया जा सकता है. इसलिए एएसआई की टीम ने सारा काम हाथों से ही करने का फैसला किया है. इन दलीलों के बाद अदालत ने एएसआई को सर्वेक्षण का काम पूरा करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए चार और हफ्तों की मोहलत दे दी.
बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में एएसआई के विशेषज्ञों की टीम के सर्वे का अभियान इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद चार अगस्त से लगातार जारी है. अब तक एएसआई के 40 विशेषज्ञों की टीम ने ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार सिस्टम यानी जीपीआरएस सहित अत्याधुनिक उपकरणों की मदद और पारंपरिक तकनीक के जरिए ज्ञानवापी परिसर में बने ढांचे और इसके तहखानों से लेकर गुंबद और शीर्ष की नाप जोख कर विस्तृत सर्वेक्षण किया.
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