जी-7: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भारत सहमत, बयान में कहा- इंटरनेट पाबंदी लोकतंत्र के लिए ख़तरा
The Wire
जी-7 के शिखर सम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये शामिल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता भारत के सभ्यागत लोकाचार का हिस्सा हैं. यह बयान ऐसे समय आया है जब नए आईटी नियमों को लेकर भारत सरकार और ट्विटर जैसी बड़ी टेक कंपनी आमने-सामने हैं. ट्विटर ने पिछले महीने भारत स्थित अपने कार्यालयों पर पुलिस की छापेमारी को अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए संभावित ख़तरा माना है.
नई दिल्ली: भारत ने रविवार को ‘खुले समाज’ (Open Societies) की अवधारणा पर जी-7 और अतिथि देशों के एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों के मूल्यों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मजबूती के साथ पुष्टि और प्रोत्साहित करता है. एक स्वतंत्रता के रूप में जो लोकतंत्र की रक्षा करती है और लोगों को भय और दमन से मुक्त रहने में मदद करती है. Also participated in the @G7 session on Climate and reiterated India's strong commitment to climate action. India is the only G20 country on track to meet its Paris Commitments. And Indian Railways is committed to "Net Zero" by 2030. प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन के कॉर्नवाल में आयोजित जी-7 के शिखर सम्मेलन के सत्र को डिजिटल माध्यम से संबोधित भी किया. विदेश मंत्रालय के अनुसार, जी-7 शिखर सम्मेलन के ‘बिल्डिंग बैक टुगेदर ओपेन सोसाइटीज़ एंड इकोनॉमिज़’ सत्र में मोदी ने अपने संबोधन में लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और स्वाधीनता के प्रति भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. — Narendra Modi (@narendramodi) June 13, 2021 इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जी-7 और अतिथि देशों के संयुक्त बयान में स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए जोखिमों में से एक राजनीति से प्रेरित इंटरनेट शटडाउन का भी उल्लेख किया गया है. सत्र के समापन पर ‘ओपन सोसाइटीज स्टेटमेंट’ को मंजूरी दी गई. समापन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया था.More Related News