![जिद...जद्दोजहद...जोश...जज्बा...और फिर जमीन की जंग जीत गया अन्नदाता!](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/photo_gallery/202112/farmer_tiranga-sixteen_nine_0.jpg)
जिद...जद्दोजहद...जोश...जज्बा...और फिर जमीन की जंग जीत गया अन्नदाता!
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380 दिन गुजरे...और समय आ गया है कि सड़कों पर पसरे गृहस्थी के तिनके-तिनके को अब समेट लिया जाए. एक साल की खट्टी-मीठी यादों की तह लगाई जाए और एक बार फिर चला जाए उस खेत की ओर जहां हमारी ताजगी भरी सुबह होती है, जहां दोपहरी में हमारा पसीना छलछलाता है और शाम तक जिस खेत की मिट्टी में थककर हम निढाल और निहाल हो जाते हैं.
380 दिन गुजरे...और समय आ गया है कि सड़कों पर पसरे गृहस्थी के तिनके-तिनके को अब समेट लिया जाए. एक साल की खट्टी-मीठी यादों की तह लगाई जाए और एक बार फिर चला जाए उस खेत की ओर जहां हमारी ताजगी भरी सुबह होती है, जहां दोपहरी में हमारा पसीना छलछलाता है और शाम तक जिस खेत की मिट्टी में थककर हम निढ़ाल और निहाल हो जाते हैं. किसान आंदोलन खत्म हो गया है, चलिए मुल्तवी ही कहते हैं. मगर भरोसा है कि अब फिर कभी सवाल हमारी रोटी का न होगा. दिल्ली की कंक्रीट की इन सड़कों पर फिर कभी हमें अपना पिंड नहीं बसाना पड़ेगा. आज खुला आसमान है. तिरंगे की मजबूत पकड़ है. ये तिरंगा ही तो हमारा कवच रहा. हम किसानों को ताने दिए गए, उलाहने दिए गए. हम कम बोले, मजबूती से इस ध्वज को थामे रहे. आज तपस्या रंग लाई. (Photo- Nishwan Rasool)
26 नवंबर 2020 से लेकर 11 दिसंबर 2021...एक साल से ज्यादा हो गया. जब हम किसानों को दिल्ली कूच करने के लिए कहा गया तो, एकबारगी तो समझ में न आया. कहां रहेंगे, क्या होगा, कैसा आंदोलन? लेकिन हम इतना समझ गए थे कि बात हमारी खेती की है, जिसकी बदौलत हमारा घर-संसार चलता है. जब चीजें समझ आई तो निकल लिए तंबू-तबेले के साथ पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश से. अपनी-अपनी ओर से आए और अपनी-अपनी सीमाओं पर बैठ गए. गाजीपुर, सिंघु और कोंडली में. सच कहूं तो जब घर से निकले तो लगा तो ये दो-चार या सप्ताह दिन की बात है. मगर लड़ाई लंबी थी. आज इस सड़क पर हमारी दूसरी सर्दी है. (Photo- Nishwan Rasool)
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आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं यह रेलवे का कुप्रबंधन है जिसके कारण इतने लोगों की जान चली गई. रेल मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. कुंभ पर सवाल पूछे जाने पर पूर्व रेल मंत्री ने कहा कि 'कुंभ का क्या कोई मतलब है, फालतू है कुंभ.
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई, जिसमें 9 महिलाएं और कई बच्चे शामिल हैं. स्टेशन पर बिखरे सामान, जूते और कपड़े इस घटना की गवाही दे रहे हैं. भगदड़ के दौरान लोग जान बचाने के लिए सीढ़ियों और एस्केलेटर पर दौड़ पड़े. प्लेटफॉर्म पर सीमित जगह के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई. देखें वीडियो.
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ पर रेलवे का बयान सामने आया है. नॉर्दर्न रेलवे के CPRO हिमांशु शेखर उपाध्याय के अनुसार, प्लेटफॉर्म 14-15 के बीच फुटओवर ब्रिज की सीढ़ियों पर एक यात्री के फिसलने से भगदड़ मच गई. उन्होंने बताया कि इस समय प्लेटफॉर्म 14 पर मगध एक्सप्रेस और प्लेटफॉर्म 15 पर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस खड़ी थी. देखें वीडियो.
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प्रयागराज में संगम स्नान के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (डीडीयू) पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा जाने वाली ट्रेनों में जबरदस्त दबाव देखने को मिल रहा है. हालात को संभालने के लिए RPF और GRP की टीम तैनात है, लेकिन यात्रियों की भारी भीड़ के कारण प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है.
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ के बाद तस्वीरें सामने आई हैं. अपनी जान बचाने के लिए कई लोगों ने फुटओवर ब्रिज से प्लेटफॉर्म शेड पर छलांग लगा दी, जिससे कई यात्री घायल हो गए. भगदड़ के बाद प्लेटफॉर्म पर जूते, बैग, टूटी चप्पलें और यात्रियों का सामान बिखरा पड़ा है, जिसे अब हटाने का काम जारी है.
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (NDLS) पर हुई भगदड़ के भयावह मंजर को याद कर लोगों की रूह कांप रही है. हादसे की गवाह एक महिला ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ प्रयागराज जाने के लिए निकली थीं. महिला ने कहा कि हम आधे घंटे तक दबे रहे, मेरी ननद की मौत हो गई... हम उसे उठाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मुंह से झाग आ रहा था.