जिंदगी का मैच जीतना है तो इन विजेताओं से लीजिये टिप्स, चुनौतियों के बावजूद हासिल किया मुकाम
Zee News
पैरालंपिक खेलों में भारत के लिए मेडल लाने वाले खिलाड़ियों की कहानी एक जैसी है. उन्होंने संघर्ष देखा, समाज के ताने सुने और शारीरिक अक्षमता की वजह से उन्हें तनाव भी हुआ. लेकिन इन सभी ने सहानुभूति की बैसाखी के सहारे चलने से इनकार किया और मेडल जीत कर खुद को साबित किया.
नई दिल्ली: डीएनए में अब बात टोक्यो की जहां पैरालम्पिक खेलों में मंगलवार को भारत को दो और मेडल मिले. इसी के साथ देश के कुल मेडल की संख्या 10 हो गई, जिनमें 2 गोल्ड हैं, 5 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल हैं. अवनि लेखरा, सुमित अंतिल, भाविना पटेल और निषाद कुमार ये उन खिलाड़ियों के नाम हैं, जिन्होंने पैरालम्पिक खेलों में देश के लिए मेडल जीता है. हालांकि आपमें से ज्यादातर लोगों ने इन खिलाड़ियों के नाम बीते तीन-चार दिनों में सुने होंगे. क्योंकि शारीरिक अक्षमता वाले लोगों के बारे में हमारे समाज में ज्यादा बात नहीं होती और उनके नाम तो कभी याद भी नहीं रखे जाते. ऐसे लोगों के बारे में एक राय बना ली जाती है. उन्हें कमजोर समझा जाता है, उनके साथ सहानुभूति दिखाई जाती है और कई बार समाज ऐसे लोगों के साथ असंवेदनशील भी होता है. लेकिन इन सब खिलाड़ियों की कहानियां और इनका संघर्ष बताता है कि शारीरिक अक्षमता कहीं से भी इंसान को कमजोर और दूसरों पर निर्भर नहीं बनाती.More Related News