जावेद मियांदाद के पीछे रवि शास्त्री जूते उठाकर क्यों दौड़ पड़े थे
BBC
जावेद मियांदाद की गिनती पाकिस्तान ही नहीं दुनिया के सबसे बेहतरीन क्रिकेटरों में होती है, और विवाद तो उनका कभी पीछा नहीं छोड़ते थे.
जावेद मियांदाद ने अपना आख़िरी इंटरनेशनल मैच यही कोई 26 साल पहले खेला था, जबकि टेस्ट मैच तो वे आख़िरी बार 29 साल पहले दिखे थे.
लेकिन क्रिकेट की दुनिया उनको आज तक नहीं भूली है. कम से कम भारतीय क्रिकेट प्रेमी तो शायद ही कभी भूल पाएं क्योंकि 36 साल पहले जावेद मियांदाद का लगाया एक छक्का भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के सीने में किसी नश्तर की मानिंद धंसा हुआ है.
शारजाह स्टेडियम में चेतन शर्मा की आख़िरी गेंद पर छक्का लगा कर मियांदाद ने पाकिस्तान को एक बेहतरीन जीत दिलाई थी, इसे तबसे आज तक वनडे क्रिकेट के सबसे रोमांचक और सनसनीखेज़ मुक़ाबलों में गिना जाता है. मियांदाद का छक्का तो लोगों को अब तक याद है लेकिन लोग उस पारी की अहमियत को बहुत याद नहीं करते.
जबकि क्रिकेट की क्लास रूम में मियांदाद की इस पारी को किसी टेक्स्ट की भांति पढाया जा सकता है कि विपरीत परिस्थितियों में किस तरह बल्लेबाज़ी करनी चाहिए. जीत के लिए 246 रनों का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की टीम के शुरुआत बहुत अच्छी नहीं रही थी. सलामी बल्लेबाज़ और मिडिल ऑर्डर के बल्लेबाज़ विकेट पर टिक नहीं पाए थे. लेकिन मियांदाद ने धीमे धीमे अपने स्कोर को आगे बढ़ाना जारी रखा था. उन्होंने 114 गेंदों पर नाबाद 116 रन की पारी में महज तीन चौके और तीन छक्के जमाए थे. उन्होंने सिंगल और डबल के ज़रिए मैच का रोमांच बना रखा.
इस मैच भारतीय टीम की ओर से खेल रहे रवि शास्त्री ने अपनी पुस्तक स्टार गेज़िंग, द प्लेयर्स इन माय लाइफ़ में लिखा है, "मियांदाद की उस पारी का तीन चौथाई हिस्से एकदम ध्यान देने लायक नहीं था. इस दौरान शायद ही किसी को अंदाज़ रहा होगा कि पाकिस्तान ये मैच जीत सकता है. लेकिन ये बात मियांदाद के दिमाग़ में चल रही थी और उन्होंने इसे ज़ाहिर नहीं होने दिया. फ़ील्ड में भी हम लोगों को तभी एहसास हुआ जब वे अपनी टीम को जीत दिलाने की स्थिति में पहुंच गए थे."