जातीय बैलेंस, सियासी परिवारों पर दांव... मेयर चुनाव में खाता खोलने के लिए सपा की रणनीति को समझें 5 Points में
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समाजवादी पार्टी इस बार नगर निगम के मेयर चुनाव में अलग रणनीति के साथ मैदान में उतरी है. सपा ने आठ मेयर कैंडिडेट के नामों का ऐलान कर दिया है, जिसमें जातीय और क्षेत्रीय कैंबिनेशन बनाने के साथ-साथ सीट के समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा है. देखना है कि सपा की रणनीति कितनी कारगर होती है?
उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं. सपा ने बुधवार रात आठ मेयर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया. सपा ने जिस तरह से कैंडिडेट उतारे हैं, उसके जरिए मेयर चुनाव में सिर्फ बीजेपी को तगड़ी फाइट देने की नहीं बल्कि जीत का परचम फहराने की भी रणनीति है. उम्मीदवारों के चयन में पार्टी ने जातीय समीकरण का लिहाज रखा है तो भारी-भरकम नेताओं के परिवार पर दांव लगाया है ताकि अपना मेयर बना सके.
सपा के 8 मेयर कैंडिडेट यूपी की 17 नगर निगम की मेयर सीटों में से सपा ने आठ सीट पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. लखनऊ से वंदना मिश्रा, गोरखपुर से काजल निषाद, मेरठ से सीमा प्रधान, शाहजहांपुर से अर्चना वर्मा, फिरोजाबाद से मशरूर फातिमा, अयोध्या से डॉ. आशीष पाण्डेय, झांसी से रघुवीर चौधरी और प्रयागराज से अजय श्रीवास्तव को मेयर का प्रत्याशी सपा ने बनाया है. इसके अलावा तिलहर नगर पालिका परिषद से अध्यक्ष पद पर लाल बाबू और कुंदरकी नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर शमीना खातून को प्रत्याशी घोषित किया है.
सपा ने मेयर चुनाव के जरिए नई सोशल इंजीनियरिंग बनाने की कवायद की है. सपा ने मेयर चुनाव उम्मीदवारों की फेहरिश्त में ओबीसी और सवर्ण समुदाय पर खास भरोसा जताया है. पार्टी ने 8 मेयर प्रत्याशी उतारे हैं, जिसमें 4 ओबीसी, 2 ब्राह्मण, एक कायस्थ, तीन पिछड़े और मुस्लिम-दलित एक-एक हैं. सपा ने आठ में से पांच सीटों पर महिला मेयर कैंडिडेट उतारकर बड़ा दांव चला है.
सपा ने शहरी इलाके के जातीय समीकरण का ध्यान रखते हुए कैंडिडेट उतारे हैं. इसीलिए आधे टिकट सवर्णों को दिए हैं तो गैर-यादव ओबीसी को साधने के लिए किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. सपा निषाद, गुर्जर और कुर्मी समुदाय को मेयर टिकट देकर अपने समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद की है.
सपा ने मेयर चुनाव में दूसरे दलों से आए नेताओं पर भी भरोसा जताया है. मशरूर फातिमा ओवैसी की एआईएमआईएम से सपा में आई हैं और उनके पति नौशाद अली बसपा के नेता रहे हैं. वहीं, प्रयागराज के अजय श्रीवास्तव इंद्रजीत सरोज के साथ बसपा से सपा में आए थे और उनके करीबियों में गिने जाते हैं. इन दोनों ही नेताओं की पकड़ अपने-अपने क्षेत्र में काफी मजबूत है, जिसे देखते हुए सपा ने उन्हें मेयर के चुनाव में उतारा है.
सपा ने मेयर चुनाव में जिस तरह से कैंडिडेट उतारे हैं, उसमें यादव समुदाय से किसी को प्रत्याशी नहीं बनाया है. सपा ने सिर्फ एक ही मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है जबकि मेरठ मेयर के लिए सपा विधायक रफीक अंसारी अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने अतुल प्रधान की पत्नी पर भरोसा जताया. लखनऊ में भी कई मुस्लिम दावेदार थे. ऐसे में साफ है कि सपा अब अपने कोर वोटबैंक यादव-मुस्लिम से बाहर अपनी सियासी जमीन तलाश रही है, जिसके लिए सवर्ण-ओबीसी पर खास फोकस किया है.
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