
...जहां हुआ था केजरीवाल का उभार, वहीं से मिलेगी दिल्ली को बीजेपी की सरकार!
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दिल्ली का रामलीला मैदान वही जगह है जहां अन्ना आंदोलन को एक मजबूत आवाज मिली थी. इसी मैदान के मंच पर भाषण देते हुए और सरकार की नीतियों को ललकारते हुए अरविंद केजरीवाल एक आंदोलनकारी से नेता बने थे. इसी मैदान पर अनशन करके उन्होंने सियासत में कदम रखा था.
27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी का 20 फरवरी को शपथ ग्रहण कार्यक्रम होगा. लेकिन इस आयोजन के लिए जिस जगह का चुनाव किया गया है उसने इस शपथ ग्रहण को कई मायनों में विमर्श का विषय बना दिया है. दरअसल, दिल्ली के जिस रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण की तैयारी हो रही है, वो आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के उभार का भी गवाह रहा है...
इसी मैदान पर आंदोलनकारी से नेता बने थे केजरीवाल
दिल्ली का रामलीला मैदान वही जगह है जहां अन्ना आंदोलन को एक मजबूत आवाज मिली थी. इसी मैदान के मंच पर भाषण देते हुए और सरकार की नीतियों को ललकारते हुए अरविंद केजरीवाल एक आंदोलनकारी से नेता बने थे. इसी मैदान पर अनशन करके उन्होंने सियासत में कदम रखा था. यहीं से उन्होंने नई पार्टी बनाई और फिर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो गए. इस कहानी को समझने के लिए आपको करीब 14 साल पीछे चलना होगा...
इसी मैदान से केजरीवाल का हुआ उभार
साल 2011 का अगस्त महीना था, जब समाजसेवी अन्ना हजारे ने जन लोकपाल बिल को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. धीरे-धीरे इस प्रदर्शन ने आंदोलन की शक्ल ले ली और देशभर में सरकार के खिलाफ आवाज उठने लगी. रामलीला मैदान पर हर रोज हजारों की संख्या में लोग पहुंचने लगे. 'मैं भी अन्ना' की टोपी लगाकर हर ओर लोगों का हुजूम ही दिखता था. अन्ना हजारे के अलावा एक और नाम धीरे-धीरे लोगों की जुबां पर चढ़ने लगा. वो नाम था अरविंद केजरीवाल. केजरीवाल के प्रशासनिक अधिकारी बनने से लेकर मैग्सेसे पुरस्कार जीतने तक के किस्से रामलीला मैदान पर माइक से चीखने लगे थे. लेकिन इसी मैदान में अभी केजरीवाल का नेता बनना बाकी था.
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