जहांगीरपुरी: सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के घंटों बाद रोका गया अतिक्रमण विरोधी अभियान
The Wire
दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत आरोपियों के कथित अवैध निर्माणों को तोड़ा जा रहा था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं रोकी गई. बाद में, जब याचिकाकर्ता के वकील ने वापस शीर्ष अदालत पहुंचे, तब तोड़-फोड़ की कार्रवाई रुकी.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने बुधवार को दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में प्रशासन के अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने दंगे के आरोपियों के खिलाफ कथित तौर पर लक्षित नगर निकायों की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका भी सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली. Delhi | The anti-encroachment drive will be stopped soon as we have received the Supreme Court order, says North Delhi Mayor, Raja Iqbal Singh, at Jahangirpuri pic.twitter.com/9FQzs56GSo We will follow the SC order & take action accordingly, says Raja Iqbal Singh the Mayor of North Delhi Municipal Corporation after the Supreme Court ordered a status-quo on the demolition drive being conducted by the civic body in violence-hit Jahangirpuri, Delhi pic.twitter.com/gU8XqgcVvE For the last 15 years, my shop was here. No one raised the issue of illegality earlier, now after an incident of violence between two communities, this is happening, says a local in Jahangirpuri pic.twitter.com/ugmRgNJs0h
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौजूदा हालात में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए. उसने कहा कि याचिका को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा. — ANI (@ANI) April 20, 2022 — ANI (@ANI) April 20, 2022 — ANI (@ANI) April 20, 2022
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) और पीडब्ल्यूडी सहित अन्य नगर निकायों के विशेष अतिक्रमण रोधी अभियान के खिलाफ दायर एक याचिका का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ‘निर्माण ढहाने के लिए पूरी तरह से अनाधिकृत और असंवैधानिक’ आदेश दिया गया है.
दवे ने आरोप लगाया कि निर्माण ढहाने की कार्रवाई बुधवार दोपहर दो बजे शुरू होनी थी, लेकिन यह सुबह नौ बजे से ही प्रारंभ कर दी गई और कथित उल्लंघनकर्ताओं को इस बाबत कोई अनिवार्य नोटिस नहीं दिया गया है.