
जलियांवाला कांड: आज ही के दिन अंग्रेजों ने निहत्थे भारतीयों पर चलवाई थीं गोलियां, ‘अमृतसर के कसाई’ की ऐसे हुई थी बुरी मौत
ABP News
अंग्रेजों ने 10 मिनट के भीतर करीब 1650 राउंड गोलियां चलाई थी. इन गोलियां से बचने के लिए लोग बाग में बने कुएं में कूद गए.
Jallianwala Bagh History: 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के शुभ मौके पर भारत को ऐसे जख्म मिले जिसे 103 साल के बाद भी नहीं भुलाया जा सकता है. आज हम आपको गुलाम भारत की ऐसा दास्तां बताने वाले हैं जिसे गुजरे सालों हो गए हैं लेकिन, आजादी पाने के लिए हमारे पूर्वजों ने क्या संघर्ष किया हैं यह हमें बताता है. यह कहानी अंग्रेजी हुकूमत की भारत के आम लोगों पर किए गए सबसे बड़े अत्याचारों में से एक की है. बैसाखी के दिन यानी 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था. आज यानी 13 अप्रैल 2022 को इस हत्याकांड को पूरे 103 साल हो गए हैं. इस दिन को हर भारतीय शहादत के दिन के रूप में देखता है. आज के दिन पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में खून की नदियां बह गई थी. तो चलिए जानते हैं जलियांवाला बाग नरसंहार के इतिहास के बारे में-
जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ?पंजाब के अमृतसर में एक जगह का नाम है जलियांवाला बाग. 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के शुभ मौके पर यहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होकर स्वतंत्रता सेनानी सत्यपाल और सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ एक सभा का आयोजन कर रहे थे. हालांकि इस दिन अंग्रेजी सरकार ने लोगों की आवाज को दबाने के लिए शहर में कर्फ्यू लगा रखा था. लेकिन, इस गिरफ्तारी के विरोध में शहर की कई महिलाएं, बच्चे और पुरुष अपने घरों से निकले और जलियांवाला बाग में जाकर बैठ गए. वहां लोग शांत ढंग से एक सभा कर रहे थे. साथ ही कुछ लोग बैसाखी के मौके पर वहां मेला देखने भी आए थे.