जय भीम: कैसे एक तमिल फ़िल्म ने IMDb पर 'द गॉडफादर' को भी पीछे छोड़ दिया?
BBC
मुख्यधारा की हिन्दी फ़िल्मों में दलितों से जुड़े विषय अब भी कभी-कभार ही आते हैं लेकिन भारत की अन्य भाषाओं में यह विषय प्रभावी तरीक़े से उठाया जा रहा है. दलितों के उत्पीड़न पर बनी 'जय भीम' अपनी रिलीज के केवल दो हफ़्तों में IMDb रैंकिंग में शीर्ष पर पहुँच गई.
तमिल भाषा में बनी फ़िल्म 'जय भीम' को फ़िल्मों से जुड़े आँकड़े बताने वाली साइट IMDb पर सबसे बढ़िया रैंकिंग मिली है.
इस फ़िल्म को दर्शकों ने 'द शॉशांक रिडेंपशन' और 'द गॉडफादर' जैसे क्लासिक सिनेमा पर तरजीह दी है.
फ़िल्म पत्रकार असीम छाबड़ा ने इसके बारे मे लिखा कि यह गंभीर भारतीय फ़िल्मों की कड़ी में सबसे नया है. वो कहते हैं कि इस फ़िल्म में हिंदू धर्म की सख़्त जाति व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर मौजूद दलितों के ख़िलाफ़ होने वाले दमन की कहानी है.
'जय भीम' की शुरुआत में दिखाया गया है कि कुछ पुलिस अधिकारी जाति के आधार संदिग्ध लोगों को अलग कर रहे हैं. उस सीन में जो लोग दबंग जातियों के होते हैं, उन्हें जाने को कहा जाता है. वहीं जो दलित या आदिवासी होते हैं, उन्हें ठहरने के लिए कहा जाता है. बाद में पुलिस कमज़ोर तबक़े के लोगों के ख़िलाफ़ झूठे आरोप लगाती है.
यह दृश्य भयानक और परेशान करने वाला है. इसमें एक कोने में खड़े डरे और सहमे लोगों को अपना अंजाम लगभग मालूम है. यह सीन हमें याद दिलाता है कि ऐसी घटनाएं हमेशा ही होती हैं. यह हमें बताता है कि देश के छोटे शहरों और गाँवों में हाशिए पर मौजूद लोगों ख़ासकर दलितों का जीवन बेहद अनिश्चित है.