जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे आनंद नीलकंठन, एबीपी से बातचीत में बताया कैसे हुई Asura और Vanara जैसी किताबों की शुरुआत
ABP News
प्रसिद्ध लेखक आनंद नीलकंठन से एबीपी ने खास बातचीत की. उन्होंने असुरा, काली, द राइज ऑफ शिवगामी जैसी किताबें लिखी हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय पुराण कर्म की बात करते हैं.
जयपुर फिल्म फेस्टिवल में प्रसिद्ध लेखक आनंद नीलकंठन ने शिरकत की. आनंद नीलकंठन से एबीपी ने खास बातचीत की. उन्होंने असुरा, काली, द राइज ऑफ शिवगामी जैसी किताबें लिखी हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय पुराण कर्म की बात करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी करेक्टर अपना काम करते हैं, कोई बड़ा छोटा नहीं होता. पिछले 200-300 साल में स्टोरी टैलिंग बदल गया. पुराणों कहा गया कि रावण भी जय का अवतार था. इस वजह से रावण की एक स्टोरी बताने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि रामायण और महाभारत में हर करेक्टर महत्वपूर्ण है. नॉबेल और किताबों में पुराना नजरिया ही पेश किया गया था अब तक, इसे मैंने तोड़ने की कोशिश की. पहले के नजरिए में कहानियों में एक हीरो और एक विलेन था. मेरी सारी किताबें लोक कथाओं पर आधारित है. मंथरा की कहानी, शांता की कहानी, इनके बारे में कोई बात ही नहीं करता. ऐसे में राइटिंग को ब्रेक करने की मैंने कोशिश की.
जयपुर फिल्म फेस्टिवल में जश्न-ए-रेख्ता और रेख्ता के फाउंडर संजीव सराफ शामिल हुए. वो एक ऐसे शख्स के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने उर्दू को लोगों के बीच में कूल बनाने का काम किया. उन्होंने बताया कि उर्दू बेहद खूबसूरत भाषा रही है. विभाजन के बाद इसे एक समुदाय की भाषा माना जाने लगा. मुझे इस भाषा से बेहद प्यार है. इस वजह से लोगों तक इसे पहुंचाने की कोशिश शुरू हुई. उन्होंने कहा कि भारत की भाषाओं को और कैसे बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि घरों में ही बच्चों को अपनी मातृ भाषा को लिखना और पढ़ना सिखाना चाहिए.