
जम्मू कश्मीर: नागरिकों की हत्याओं के बीच कश्मीरी पंडितों में डर, कई परिवारों ने घाटी छोड़ी
The Wire
कश्मीर घाटी में लगातार आतंकवादियों द्वारा नागरिकों और ग़ैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर की जा रही हत्याओं के बीच भयभीत कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग घाटी छोड़कर जा रहे हैं या इसकी योजना बना रहे हैं. ख़बरों के अनुसार, कश्मीर में उनके कई रिहायशी शिविरों में उन्हें प्रशासन द्वारा जबरन रोका जा रहा है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कश्मीर घाटी में कार्यरत कश्मीरी पंडितों ने घाटी में गैर मुस्लिमों को निशाना बनाकर किए जा रहे हमलों से उन्हें बचाने में प्रशासन की ‘विफलता’ के विरोध के बाद गुरुवार को आधिकारिक ‘निष्क्रियता’ पर निराशा व्यक्त करते हुए अपना आंदोलन वापस ले लिया. J&K| Panic-stricken Kashmiri Pandits working under PM package reached Jammu due to targeted killings in Kashmir Valley Govt forces park vehicles at gates of Kashmiri Pandit accomodations in Anantnag, forcibly preventing them from leaving valley. In a bid to close its entry, even gate was uprooted. Abuses directed at forces by Pandits can be heard in video. pic.twitter.com/ze2FbOm3Km
इंडियन एक्सप्रेस ने ऐसे कई कश्मीरी पंडितों से बात की जो कश्मीर में कार्यरत हैं और उनके लिए बनाए गए दो मुख्य कैंपों- बडगाम के शेखपोरा और पुलवामा के हाल में रहते हैं. अख़बार के अनुसार, उनमें हताशा और तनाव स्पष्ट दिख रहे हैं. कइयों ने बताया कि वे घाटी के बाहर विकल्प तलाश रहे हैं. Today's Kashmir is more dangerous than the 1990s. Most imp question is why our people were locked in our colonies.Why admin is hiding their failure?: Ajay(2.06) pic.twitter.com/4FgGN65u1C — Umar Sofi (@Umar__sofi) June 2, 2022
हालिया विरोध-प्रदर्शनों में सक्रिय रहे 40 साल के सरकारी कर्मचारी अमित कौल शेखपोरा कैंप के रहवासी है. उन्होंने बताया, ‘हम सब वापस जम्मू जा रहे हैं. मैं अपने पांच सहकर्मियों के साथ कैंप छोड़ चुका हूं.’ — ANI (@ANI) June 3, 2022
उन्होंने यह भी बताया कि 12 मई को राहुल भट की हत्या के बाद से वे सब सरकार से उनका तबादला जम्मू करने की मांग कर रहे हैं.