जब सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैन्य कार्रवाई के ज़रिए हैदराबाद को भारत में मिलाया-विवेचना
BBC
सरदार वल्लभ भाई पटेल की नज़र में उस समय का हैदराबाद 'भारत के पेट में कैंसर' की तरह था जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था. 13 सितंबर, 1948 को ही सरदार पटेल ने सेना को हैदराबाद का भारतीय संघ में विलय करने का दिया था आदेश.
हमेशा से ही 82,698 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की हैदराबाद रियासत की गिनती भारत के प्रमुख राजघरानों में किया जाता रहा था. इसका क्षेत्रफल ब्रिटेन और स्कॉटलैंड के क्षेत्र से भी अधिक था और आबादी (एक करोड़ 60 लाख) यूरोप के कई देशों से अधिक थी. शायद इसके विशेष दर्जे की वजह से ही उसे आज़ादी के बाद भारत में शामिल होने या न होने के लिए तीन महीने का अतिरिक्त समय दिया गया था. उस समय भारत के गृह सचिव रहे एच वीआर आयंगर ने एक इंटरव्यू में कहा था, ''सरदार पटेल का शुरू से ही मानना था कि भारत के दिल में एक ऐसे क्षेत्र हैदराबाद का होना, जिसकी निष्ठा देश की सीमाओं के बाहर हो. भारत की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा ख़तरा था.' नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी में रखे इस इंटरव्यू में आयंगर यहाँ तक कहते हैं कि पटेल की दिली इच्छा थी कि निज़ाम का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए. हालाँकि नेहरू और माउंटबेटेन की वजह से पटेल अपनी इस इच्छा को पूरा नहीं कर पाए. नेहरू पटेल को हमेशा याद दिलाते रहे कि हैदराबाद में बड़ी संख्या में मुस्लिम अल्पसंख्यक रहते हैं. निज़ाम से पिंड छुड़ाने के बाद होने वाले असर को संभाल पाना भारत के लिए मुश्किल होगा.More Related News