
जब लता मंगेशकर ने कहा था कि फ़िल्म उद्योग के 100 सालों में 71 मेरे भी हैं
BBC
लता मंगेशकर ने पहली दफ़ा जब अपने पिता के साथ स्टेज पर परफॉर्मेंस दिया था तब वो सिर्फ़ 9 साल की थीं. लता मंगेशकर के निधन पर उनकी संगीत यात्रा के अहम पड़ावों पर एक नज़र.
भारतीय सिनेमा की स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हो गया है. उन्हें एक महीने पहले कोरोना संक्रमण के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया था जहाँ आज सुबह 8 बजकर 12 मिनट बजकर उन्होंने अंतिम साँस ली. लता मंगेशकर की संगीत यात्रा के अहम पड़ावों पर एक नज़र.
बात साल 1943-44 के आसपास की है. कोल्हापुर में एक फ़िल्म की शूटिंग चल रही थी और इस वक़्त की मशहूर गायिका नूर जहाँ अपने गानों की रिकॉर्डिंग के लिए वहाँ आई थीं. उसी फ़िल्म में एक छोटी बच्ची भी रोल कर रही थी.
फ़िल्म के निर्माता ने नूर जहाँ से बच्ची का परिचय करवाते हुए बोला कि ये लता है और ये भी गाना गाती है. नूर जहाँ तपाक से बोली, अच्छा कुछ गा के सुनाओ. लता ने शास्त्रीय संगीत से सजा एक गाना सुनाया. नूर जहाँ सुनती गईं और लता गाती गईं.
बच्ची के गाने से ख़ुश होकर नूरजहाँ बोली कि बहुत अच्छा गाती हो, बस रियाज़ करती रहना, आगे जाओगी. रोज़ी रोटी के लिए फ़िल्मों में छोटे-मोटे रोल करने वाली ये बच्ची आगे चल कर सुरों की मलिका लता मंगेशकर बनीं.
यहाँ गीतकार-निर्देशक गुलज़ार की कही एक बात याद आती है कि लता सिर्फ़ एक गायिका नहीं हैं, वो हर हिंदुस्तानी के रोज़ मर्रा के जीने का हिस्सा बन चुकी हैं. और यही लता की आवाज़ कि ख़ूबी रही है- चाहे फिर आप संगीत की बारीकियाँ समझने वालों में से हों या एक सामान्य संगीत प्रेमी.