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जब भारत आने वाले पहले रूसी यात्री से धर्म बदलने को कहा गया था
BBC
ये कहानी है उस दौर की जब बाबर पैदा भी नहीं हुए थे और वास्को डि गामा को भारत आने में तीस बरस बाकी थे.
अक्सर कहा जाता है कि भारत और रूस के बीच संबंध काफ़ी गहरे और दोस्ताना रहे हैं. लेकिन ये दोस्ती आख़िर कितनी पुरानी है और दोनों देशों के बीच लोगों के आने-जाने का सिलसिला कब शुरू हुआ? इस सवाल का जवाब इतिहास की किताबों में मिलता है.
ये उस दौर की कहानी है जब भारत में मुगल साम्राज्य की शुरुआत भी नहीं हुई थी. बाबर अभी पैदा भी नहीं हुए थे. दिल्ली पर लोदी वंश का शासन शुरू ही हुआ था और दक्कन में विजयनगर और बहमनी सल्तनत राज कर रहे थे.
वास्को डी गामा का जन्म कुछ समय पहले ही हुआ था और उनके भारत आने में तीन दशक बाकी थे.
ये साल था 1469, जब रूसी यात्री अफ़नासी निकितिन एक घोड़े और अपनी डायरी के साथ भारत आ पहुंचे.
इस दौर का भारत कैसा दिखता था? निकितिन ने न सिर्फ़ इस दौर के भारत को देखा बल्कि उसके बारे में विस्तार से लिखा भी.